उदयपुर। पिम्स हॉस्पिटल उमरड़ा ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण ओपियोइड विषाक्तता के मामले में अपनी उत्कृष्ट देखभाल और त्वरित हस्तक्षेप के लिए सराहना प्राप्त की है। इस मामले में सावरिया निवासी मोहन गाडरे (65) को 19 जुलाई शाम 7 बजे अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लाया गया। उपचार के समय गाडरे में उच्च-ग्रेड बुखार, मांसपेशियों और गर्दन में कठोरता, संकीर्ण पुतली और एक दिन से चलने, बोलने और खाने में असमर्थता के लक्षण दिखाई दिए। उन्होंने लगभग 50 ग्राम अफीम के सेवन की जानकारी दी। उनकी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन्हें तुरंत इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती किया गया।
पिम्स हॉस्पिटल के चेयरमैन आशीष अग्रवाल ने बताया कि जांच में उनके सीटी ब्रेन स्कैन में कोई असामान्यता नहीं थी जबकि उनके सीरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ) विश्लेषण में लिंफोसाइट्स, प्रोटीन, और सेलुलैरिटी में वृद्धि पाई गई। पिम्स हॉस्पिटल की बहुसंवर्गीय टीम ने त्वरित कार्रवाई की। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और ओपियोइड ओवरडोज के लिए एंटीडोट, नालोक्सोन, के साथ-साथ एंटीबायोटिक्स और लेवेटिरासेटम दी गई। आईसीयू टीम में डॉ. अमित कुमार ने गाडरे की स्थिति को तीन दिनों तक बारीकी से देखा जिससे उनकी स्थिति में सुधार हुआ और पांचवें दिन उनकी सफल रिकवरी हुई। इसके बाद उन्हें ओपियोइड निकासी प्रबंधन के लिए मनोचिकित्सा वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने गाडरे की वित्तीय कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए उनकी फीस माफ कर दी। गाडरे के परिवार ने उत्कृष्ट देखभाल और समय पर उपचार के लिए पिम्स हॉस्पिटल के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। पिम्स हॉस्पिटल उमरड़ा ओपियोइड उपयोग और संबंधित समस्याओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में खड़ा है। पेशेवरों की समर्पित टीम में प्रोफेसर प्रवीण खैरकर, प्रोफेसर राजेश खोईवाल, डॉ. अमित कुमार, डॉ. आर्चिश खिवसारा और डॉ. इशु बमल शामिल हैं। ये सभी मिलकर समुदाय को बेहतरीन चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।