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प्रोस्टेट और स्तन कैंसर के संबंध में जागरूकता आवश्यक

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14 Sep 24
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प्रोस्टेट और स्तन कैंसर के संबंध में जागरूकता आवश्यक

उदयपुर। लेकसिटी में चल रही ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी- स्क्रीन एंड ट्रीट विषयक कैंसर रोग विशेषज्ञों की चौथी राष्ट्रीय कांफ्रेस का दूसरा दिन स्तन, कोलोन, प्रोस्टेट कैंसर पर चर्चाओं के नाम रहा । तीसरे दिन सर्वाइकल और ओवेरियन कैंसर पर विचार-विमर्श होगा। कांफ्रेंस पीएमसीएच, पारस हेल्थ, मेन केन फाउण्डेशन, आईएएससीओ और कैंसर रिसर्च एंड स्टेटिस्टिक के साथ आईएमए उदयपुर, एपीआई उदयपुर, यूएसएस उदयपुर, यूओजीएस उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है। विशेषज्ञां ने एकमत होकर कहा कि कैंसर के निदान की सटिक एवं उन्नीत तकनीकों से उपचार योजना बनाने में मदद मिलती है इस स्थिति में नयी तकनीकों का उपयोग बढ़ाना चाहिए। 




 
प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि पेनल डिस्कशन में मोडरेटर डॉ. डी.जी. विजय ने कहा कि स्तन कैंसर की प्रायमरी अवस्था में मरीज का सटिक उपचार सफलता की महत्पवूर्ण कड़ी है। स्तन कैंसर के मरीजों यह समझना होगा कि कैंसर का मतलब मौत ही नहीं होता है। मरीज स्वयं स्तन कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान कर इसकी जटिलता को कम कर सकते हैं। मोडरेटर डॉ. नितिन सिघंल ने कोलन कैंसर बोलते हुए कहा कि इसकी जांचों के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग से लाभ हो रहा है। ये आंत की अंदरूनी परत या पॉलीप्स से शुरू होता है। पॉलीप्स, कोलन की परत में होने वाले छोटे, सौम्य विकास होते हैं. कुछ पॉलीप्स समय के साथ कैंसर में बदल जाते हैं.। कोलन कैंसर के इलाज के लिए टारगेटेड चिकित्सा और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। 

पैनल डिस्कशन में मोडरेटर डॉ. मनोज महाजन ने कहा कि  नियोएडजुवेंट और एडजुवेंट कीमोथेरेपी, कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली दो तरह की कीमोथेरेपी हैं।  नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी कैंसर के प्राथमिक उपचार से पहले दी जाती है इसका मकसद, ट्यूमर को सिकोड़ना या रोकना होता है, ताकि सर्जरी आसान हो जाए और कैंसर के आगे बढ़ने से रोका जा सके।  नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी तब दी जाती है, जब ट्यूमर बहुत बड़ा हो या किसी अहम अंग को प्रभावित कर रहा हो। एडजुवेंट कीमोथेरेपी कैंसर के किसी दूसरे इलाज के बाद दी जाती है। इसका मकसद, कैंसर के दोबारा आने या फैलने के जोखिम को कम करना होता है। एडजुवेंट कीमोथेरेपी, सर्जरी के बाद दी जाती है, जब सभी पता लगाने योग्य बीमारी को हटा दिया गया है। एचइआर2 लक्षित थेरेपी नामक कुछ दवाएँ एचइआर2 प्रोटीन को अवरुद्ध या धीमा कर सकती हैं और इन कैंसर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। लेकिन ये दवाएँ उन कैंसर में मदद नहीं करेंगी जिनमें  एचइआर2 प्रोटीन का उच्च स्तर नहीं है।  


डॉ. विजय पाटिल ने फेफड़ों के कैंसर पर बोलते हुए कहा कि  फेफड़े के कैंसर की  दर 1990 में प्रति 1,00,000 पर 6.62 से बढ़कर 2019 में प्रति 1,00,000 पर 7.7 हो गई है, तथा 2025 तक शहरी क्षेत्रों में भी इसमें वृद्धि होने की आशंका है।  समय - समय पर जांच और उपचार से सफलता प्राप्त की जा सकती है। लंग कैंसर की स्थिति में इम्यूनोथैरेपी उपयोग साबित रही है। कई मरीजों में इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं।  

डॉ. क्षितिज दोमाड़िया और डॉ. ललित मोहन शर्मा ने प्रोस्टेट कैंसर पर बोलते हुए कहा कि पुरूषों पाए जाने वाले इस कैंसर में आमतौर पर कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं और ज्यादातर केसेज में 60 साल के बाद देखा गया है। हर साल लगभग 33000 से 42000 नये केस सामने आते हैं, जो 2040 तक 70000 से अधिक प्रतिवर्ष होने की आशंका है। प्रोस्टेट कैंसर की पहली और दूसरी स्टेज में इसे पूरी तरह ठीक करने की 95 प्रतिशत तक संभावना होती है। इन दिनों रोबोटिक सर्जरी का भी उपयोग किया जा रहा है, यह प्रभावी और कम साइड इफ़ेक्ट वाली तकनीक है।


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