उदयपुर, विद्या भवन पॉलिटेक्निक सभागार में "आयड नदी बेसिन समग्र जल संसाधन प्रबंधन आंकलन शोध परिणाम" विषयक एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में आयड नदी बेसिन के जल संसाधन प्रबंधन पर किए गए शोध परिणाम प्रस्तुत किए गए, जो रिवर सिटी और रामसर वेटलैंड सिटी के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुए।
कार्यशाला का आयोजन विद्या भवन, कोपेनहेगेन विश्वविद्यालय, जियोलाजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क एंड ग्रीनलैंड, डेनिश हाइड्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट इंडिया (DHI), डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स और जियोलाजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क एंड ग्रीनलैंड के सहयोग से हुआ।
कार्यशाला में विद्या भवन के प्राचार्य डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि इस शोध का महत्व रिवर सिटी और रामसर वेटलैंड सिटी की पृष्ठभूमि में अत्यधिक है। साथ ही, डॉ. जितेंद्र तायलिया ने कहा कि यह शोध आयड नदी बेसिन की जल उपलब्धता और जल गुणवत्ता संबंधी जानकारी प्रदान करेगा, जो विद्या भवन की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।
डेनमार्क की विशेषज्ञ डॉ. अनिता शर्मा ने बताया कि भारत और डेनमार्क के बीच ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के तहत आयड नदी बेसिन के अध्ययन के अतिरिक्त गुमानिया नाला विकास पर भी कार्य किया जा रहा है।
कार्यशाला में डेनिश हाइड्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के डॉ. श्रेष्ठ तायल और डॉ. कुलदीप ने आयड नदी बेसिन के माइक शी हाइड्रोलॉजिकल मॉडल की प्रस्तुति दी।
कार्यशाला में नागरिकों और विद्यार्थियों की सहभागिता को भी महत्वपूर्ण बताया गया, क्योंकि उन्होंने जल गुणवत्ता, वर्षा, और भूजल स्तर का मापन किया। यह शोध कार्य "सिटीजन साइंस" का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस अवसर पर कई शिक्षाविदों, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों, और अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
यह कार्यशाला जल संसाधनों के प्रबंधन और वैज्ञानिक मॉडलिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है, जो पूरे राजस्थान में विस्तार के लिए अनुकरणीय है। (mohsina bano)