गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग ने “मानसिक रोग जागरूकता सप्ताह” का समापन 10 अक्टूबर ‘विश्व मानसिक दिवस’ के साथ किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ राकेश व्यास कुलपति गीतांजली यूनिवर्सिटी, विशिष्ठ अतिथि डॉ मंजींदर कौर एडिशनल प्रिंसिपल थे। मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ॰ जितेंद्र जीनगर द् ने अपने व्याख्यान में बताया कि भारत में लगभग 10% लोग मनोरोग से पीड़ित हैं जिसमें से 70-80% मरीज़ मनोचिकित्सकों के पास नहीं पहुंच पाते। देश में आज के समय में मनोचिकित्सकों की भारी कमी है। मानसिक रोग के बारे में अंधविश्वास और स्टिग्मा होने की वजह से मरीज़ मनोचिकित्सक के पास ना जाकर दूसरे डॉक्टरों को दिखाना पसंद करते हैं। डॉ॰ जीनगर ने बताया कि मानसिक रोग का इलाज करना ज़रूरी है क्यूकी इस में आत्महत्या करने की संभावना बढ़ जाती है, इंसान व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों को नहीं संभाल पाता एवं व्यक्तिगत जीवन के व्यापन में समस्याओं का सामना करता है, इसके साथ - साथ दूसरी बीमारियां जैसे हृदय रोग के होने का खतरा बढ़ जाता हैं और तो और नशे की तरफ़ जाने की प्रवृत्ति भीं बढ़ जाती है।
प्रोफेसर डॉ॰ मनु शर्मा ने मानसिक रोग जागरूकता सप्ताह में हुए प्रत्येक दिन अलग-अलग कार्यक्रमों के बारे में बताया। 4 अक्टूबर को इसकी शुरुआत गीतांजली के प्रशासनिक विभाग के कर्मचारियों के लिए "कार्यस्थल में समय प्रबंधन" विषय पर डॉ. जितेंद्र जीनगर की व्याख्यान से हुई। 5 अक्टूबर को पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें साहिल उपाध्याय, मूमल कुंवर राजपूत एवं रिदम माहेश्वरी को पुरस्कार दिया गया। 6 अक्टूबर, रविवार को, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगभग 150 डॉक्टरों ने साथ फतेह सागर पाल पर वॉक की। 7 अक्टूबर को डॉ॰ जीनगर ने रेलवे प्रशिक्षण केंद्र उदयपुर में लगभग 900 कर्मचारियों को "कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन“ पर व्याख्यान दिया। 8 अक्टूबर को नर्सिंग और फार्मेसी के छात्रों द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर नुक्कड़ नाटक किए गए। 9 अक्टूबर को गीतांजली विश्वविद्यालय में सभी छात्रों के लिए एक ओपन माइक आयोजित किया गया, जहां साक्षी मीना, नरेंद्र प्रजापति और मुस्कान सिंह ने पुरस्कार प्राप्त किया।