गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में पूज्य श्रीमान भगवती लाल जी सा पोरवाल तोतावत का संथारापूर्वक देहदान किया गया। गीतांजली हॉस्पिटल इस महान कार्य और सेवा भावना को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
पूज्य श्रीमान भगवती लाल जी के पुत्र गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत श्री अंकित पोरवाल (जीएम फार्मेसी) व उनके परिवार की इच्छा देहदान किया गया| अंकित जी ने बताया कि उनके पिताजी का मानना था कि जीते जी तो सब काम आ जाते हैं परन्तु यदि मरने के बाद भी देह काम आ सके और जिससे भावी डॉक्टर्स अनुसन्धान कर सकें और समाज को अच्छे डॉक्टर मिले इसके लिए ये सोच रखना बहुत आवश्यक है और हमारी ज़िम्मेदारी भी|
इस अवसर पर एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अंकित अग्रवाल, सीईओ श्री ऋषि कपूर, सीऍफ़ओ श्री रोशन जैन, सीएचआरओ डॉ राजीव पंड्या, डीजीएम सेल्स एंड मार्केटिंग श्री कल्पेश चंद रजबार, श्री विनोद शर्मा, श्रीअमित बंसल, श्री सुनील वर्मा, श्री नारायण अग्रवाल, श्री अर्जुन जोशी सहित गीतांजली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी और देहदानकर्ता के परिवारजन उपस्थित रहे और सभी ने भावभीनी श्रधांजली अर्पित की|
इन सवालों को समझे देह दान कैसे कर सकते हैं और जरूरी क्यों है?
देह दान क्यों करना चाहिए?
विज्ञान की प्रगति के लिए मृत्यु पश्चात अपना शरीर दान करना एक अनूठा और अमूल्य उपहार है दान किए गए शरीर का उपयोग भविष्य के डॉक्टरों और नर्सों को पढ़ाने प्रशिक्षण देने सर्जन को प्रशिक्षित करने व वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए किया जाता है|
देह दान कौन कर सकता है?
कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है और कानूनी रूप से वैध सहमति देने योग्य है वह शरीर रचना में भाग एनाटॉमी जीएमसीएच उदयपुर में एक संपूर्ण शरीर दाता के रूप में पंजीकृत करा सकता है| यदि पंजीकृत ना हो तब भी मृतक के शरीर पर कानूनी अधिकार रखने वाले परिजन अभिभावक मृतक का शरीर दान कर सकते हैं|
अधिक जानकारी हेतु किससे संख्या संपर्क कर सकते हैं?
अधिक जानकारी हेतु गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में संपर्क कर सकते हैं|