GMCH STORIES

कतिपय लोग युवाओं को भ्रमित कर पत्थरबाज बना रहेः सांसद डॉ मन्नालाल रावत

( Read 3812 Times)

19 Jul 24
Share |
Print This Page
कतिपय लोग युवाओं को भ्रमित कर पत्थरबाज बना रहेः सांसद डॉ मन्नालाल रावत


उदयपुर, लोकसभा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने कहा कि आज जो कुछ लोग अलग राज्य की मांग को लेकर मानगढ़ धाम गए हैं, वे अंग्रेजों व चर्च के विचारों से प्रेरित हैं। ये लोग लंबे समय से क्षेत्र के युवाओं को भ्रमित कर पत्थरबाज बना रहे हैं। मानगढ़ जाकर भी भ्रामक वातावरण बना रहे हैं। वहां जाने वाले एक संगठन के लोग हैं, न की संपूर्ण जनजाति समाज के।
डॉ रावत गुरूवार को जिला परिषद सभागार में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे लोग केवल कट्टरता व जातिवाद का जहर फैलाने के राजनैतिक उद्देश्य से वहां गए हैं। आदिवासी हिंदू नहीं है,  इस तरह का भ्रम फैला रहे हैं। समाज और क्षेत्र को ऐसे तत्वों से सावधान रहना चाहिए। सामाजिक समरसता को खराब करने के लिए इस तरह की बातें नहीं होनी चाहिए। जनजाति समाज तो वहां गया ही नहीं। उन्होंने कहा कि मानगढ़ धाम तो आदिदेव महादेव और आदिशक्ति का स्थान है। जहां जनजाति समाज अपनी सनातन परंपरा के अनुसार अपने गुरु के आदेश पर पूर्णिमा के दिन घी लेकर हवन करने के लिए गया था। इस जनजाति समाज पर 1913 में अंग्रेजों ने भारी गोलाबारी कर नरसंहार किया था। आज जो लोग अलग राज्य की मांग को लेकर वहां गए हैं। वे उन्हीं नरसंहार करने वालों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं।
जनजाति कल्याण के लिए सरकार कटिबद्ध
सांसद डॉ रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र व मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की राज्य सरकार ने स्थानीय जनजाति समाज व दक्षिणी राजस्थान के लिए लाभकारी योजनाएं दी हैं। भाजपा ने ही केंद्र में पृथक से जनजाति कल्याण मंत्रालय की स्थापना की। वहीं जनजाति आयोग की संरचना भी भाजपा सरकार के काल में ही हुई। वर्तमान में भी सरकारें जनजाति समाज के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उसकी बौखलाहट में यह तत्व वैचारिक प्रदूषण फैला रहे हैं।
डी-लिस्टिंग वर्तमान की आवश्यकता
सांसद ने कहा कि मिशनरियों के प्रभाव में जनजाति समाज शुरू से ही षड्यंत्र का शिकार हुआ है। सन 1950 में जब संविधान बना उस समय अनुसूचित जाति की परिभाषा को लेकर राष्ट्रपति की ओर से जो नोटिफिकेशन जारी हुआ था, उसमें स्पष्ट था कि जो हिंदू समाज का व्यक्ति है, वही अनुसूचित जाति का कहलाएगा। अनुसूचित जनजाति के लिए भी यही प्रावधान लागू होना था। उसमें भी हिंदू संस्कृति मानने वाले को ही आदिवासी मानते हुए जनजाति आरक्षण का लाभ मिलना था, लेकिन ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में जनजाति समाज के साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया। ईसाई मिशनरियों के प्रलोभन व दबाव में जनजाति के जो लोग हिन्दू परम्परा व आस्था को छोड़ ईसाई या इस्लाम धर्म अपना चुके हैं, अल्पसंख्यक समुदाय में जा चुके हैं, क्योंकि अब वे आदिवासी नहीं रहे उन्हें जनजाति आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए, लेकिन वे आज भी जनजाति आरक्षण का लाभ ले रहे हैं, जो कि असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक, अमानवीय व अनैतिक है। इस तरह के धर्मांतरित हुए पांच प्रतिशत लोग ही जनजाति वर्ग के आरक्षण के असली पात्र 95 प्रतिशत लोगों का हक छीन रहे हैं। ऐसे अपात्र लोगों को चिन्हित करने के लिए देश के 22 राज्यों में आंदोलन चला रखा है, जिसे डी-लिस्टिंग कहा जाता है। इस डी-लिस्टिंग आंदोलन का विरोध करने वाले चर्च से प्रेरित विचारधारा से जुड़े हैं। झाबुआ, झारखंड आदि राज्यों में यह लोग चिन्हित हो चुके हैं। अब यही लोग दक्षिणी राजस्थान में भी घुस पैठ कर चुके हैं। अब वे चर्च से प्रभावित स्थानीय संगठन के जरिए मानगढ़ धाम से सामाजिक एकता व समरसता को विखंडित करने के प्रयासों में जुटे हैं। राष्ट्र हित व सनातन संस्कृति को अक्षुण रखने के लिए ऐसे तत्वों से सावधान रहने की आवश्यकता है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like