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पंच प्रण समाज जीवन में आने से समृद्ध राष्ट्र होगा -निम्बाराम

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13 Oct 24
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पंच प्रण समाज जीवन में आने से समृद्ध राष्ट्र होगा -निम्बाराम

उदयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निन्यानवे वर्ष की यात्रा पूर्ण हुयी है संघ अगले वर्ष अपने शताब्दी वर्ष यानी 100 वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है, संघ द्वारा समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए और भी कई कार्य करने है, उन्होंने स्वयंसेवकों से अधिक समय देने के लिए आव्हान भी किया। आज पूरा विश्व भारत को देख रहा है और भारत संघ को। इसलिए आवश्यकता है समाज का नेतृत्व खड़ा करने की, परिणामकारी समाज की आवश्यकता अनुरूप कार्य करने की। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने आर.के. सर्किल स्थित कृष्णा वाटिका में विजयादशमी उत्सव निमित पथ संचलन पूर्व अपने उद्बोधन में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।

 

तीनों उत्सव में मुख्य अतिथियों ने संचलन से पूर्व विधिवत शस्त्र पूजन किया। कृष्णा वाटिका स्थान पर मुख्य अतिथि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के सचिव कुलवंत सिंह नरवल, फील्ड क्लब स्थान पर बावनमठ के संस्थापक भगवान लाल गमेती एवं मान बाग़ स्थान पर कर्नल यादवेन्द्र सिंह यादव थे। मुख्य अतिथियों ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए अपने विचार भी रखे। 

 

निम्बाराम ने अपने उद्बोधन में स्वयंसेवकों से कहाँ की आसुरी शक्तियां पहले भी थी आज भी है, हमें समाज और संगठन विरोधी गतिविधियों को समझना होगा, षड्यंत्रों को समझना होगा और एकजुट होकर लड़ना होगा, उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा रचित कविता: कभी थे अकेले हुए आज इतने नही तब डरे तो भला अब डरेंगे, विरोधों के सागर में चट्टान है हम जो टकराएंगे मौत अपनी मरेंगे, लिया हाथ में ध्वज कभी न झुकेगा कदम बढ रहा है कभी न रुकेगा, न सूरज के सम्मुख अंधेरा टिकेगा निडर है सभी हम अमर है, सभी हम के सर पर हमारे वरदहस्त करता गगन में लहरता है भगवा हमारा सुनाई और बताया की हेडगेवार जी अकेले थे, उन्होंने करके दिखाया हम सभी उनके अनुगामी है।

 

आज देश और दुनियाँ से सजग, अनुशासित और संगठित शक्ति जो दिखाई दे रही है, ऐसी शक्ति जो हिन्दू समाज का कार्य कर रही है, समाज को संगठित कर रही है जिसमें समाज और राष्ट्र कार्य में ही अपने आज 99वें वर्ष दे दिए है वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। आज विश्व में जहां - जहां भी हिंदू हैं वहाँ संघ पहुंच गया है। डॉक्टर हेडगेवार ने चरितार्थ किया कि विचारों की क्रांति दूरगामी परिणाम लाती है।

अंत में समाज से आह्वान किया की प्रत्येक हिन्दू परिवार में शास्त्र के साथ शस्त्र की पूजा हो, संघ कभी भी समाज को अकेला नहीं छोड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो की समाज अपना दायित्व ना समझे, इसके लिए हिन्दू समाज के प्रत्येक नागरिक को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी है ऐसा बोध होना आवश्यक है। पञ्च प्रण सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्व का गौरव एवं नागरिक कर्तव्य का व्यवहार यह पञ्च प्रण स्वयंसेवक सबसे पहले अपने में, अपने परिवार में लेकर आये फिर समाज जीवन में इन्हें पञ्च प्रण के आने से राष्ट्र समृद्ध होगा। और तभी शताब्दी वर्ष का कार्य होगा।      

 

दूसरा संचलन फील्ड क्लब प्रांगण से प्रारम्भ हुआ, संचलन पूर्व उद्बोधन स्वरूप चित्तोड़ प्रान्त के सह प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ. सुनील खटीक ने विचार रखे एवं उत्सव में मुख्य अतिथि बावनमठ के संस्थापक भगवान लाल गमेती थे।

डॉ. खटीक ने उद्बोधन में बताया की प्रभु श्री राम की विजय में संदेश है कि धर्म की स्थापना के लिए समाज का संगठन आवश्यक हैं। 20 वीं सदी के प्रारंभ में जहां स्वामी विवेकानंद ने हिन्दु धर्म के दर्शन को पुनर्प्रर्तिष्ठित किया, वहीं डॉ. केशवराव हेडगेवार ने हिन्दु समाज के संगठन का कार्य किया। हिन्दू धर्म के दर्शन से विविध पंथ-परंपराओं एवं उत्सवों का प्रादुर्भाव हुआ, जिनमें एकत्व व बंधुत्व के सूत्र हैं। उन पर प्रहार किये जा रहे हैं। हमारे हिन्दू समाज के सांस्कृतिक एकत्व को समाप्त कर समाज में विलगाव उत्पन्न करना चाहते है। हमें ऐसे उकसावे में नहीं आकर समाज को जोड़ने के कार्य करने होंगे। समाज में आचरण से आत्मीयता का भाव बढ़े। हम सभी 9 दिन शक्ति की उपासना की हैं। विजय के लिए शस्त्र के साथ शास्त्र व आचरण का उतना ही महत्व हैं। धर्म अनुसार धारण करने योग्य आचरण, धारयते इति धर्म, समाज को जोडने का कर्म या कर्तव्य है। संबल राष्ट्र के लिए हिन्दु समाज की एकजुटता आवश्यक हैं। सद्भावना एवं संगठन आधारित समाज से ही विश्व में भारत माता की जय की गूंज होगी।


तीसरा संचलन सेक्टर 14  स्थित मान बाग़ से प्रारम्भ हुआ जहाँ सञ्चलन से पूर्व उद्बोधन स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संयोजक प्रो. बी. पी. शर्मा का था एवं उत्सव में मुख्य अतिथि कर्नल यादवेन्द्र सिंह यादव थे।  

प्रो. बी.पी. शर्मा ने अपने उद्बोधन में सामाजिक समरसता, सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक सम्बल की बात कही और आव्हान किया की समाज विरोधी ताकतों द्वारा फैलाये जा रहे भ्रामक विमर्श को समाज को समझना होगा और उसका जवाब भी देना होगा, समाज की जागरूकता और एकता ही मज़बूत राष्ट्र का निर्माण कर सकती है। समाज को पंच परिवर्तन अपने व्यवहार में लाना होगा। जिसमें सामाजिक समरसता, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली, पारिवारिकता को बढ़ावा देने के लिए परिवार जागृति पर जोर देना, जीवन के सभी पहलुओं में भारतीय मूल्यों पर आधारित 'स्व' की भावना पैदा करना और नागरिक कर्तव्यों के पालन के लिए सामाजिक जागृति शामिल है।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उदयपुर महानगर ईकाई द्वारा शहर में तीन स्थानों पर विजयादशमी उत्सव एवं संचलन किया गया। तीनों उत्सव में अतिथियों द्वारा संचालन पूर्व शस्त्र पूजन किया गया, इसके पश्चात् अवतरण, काव्यगीत हुआ एवं बौद्धिक कर्त्ता का उद्बोधन हुआ, इसके पश्चात् संघ की प्रार्थना हुयी और पथ संचलन प्रारम्भ हुआ।

शहर में तीन स्थानों से संचलन निकले, जिसमें प्रत्येक स्थान से दो अलग-अलग संचलन निकले और पुनः निर्धारित स्थान और तय समय पर संचलन का द्विवेणी संगम हुआ।

 

द्विवेणी संगम विशेष रहा

संचलन क्रमांक 1 का स्थान सहेली मार्ग स्थित फिल्ड क्लब था यहाँ से दोनों संचलन एक समय पर तय मार्ग पर अलग-अलग निकले जिनका द्विवेणी संगम प्रातः 10:17 पर फतेहपुरा पर हुआ एवं इसके बाद दोनों संचलन एक साथ फील्ड क्लब पहुंचे।

संचलन क्रमांक 2 का स्थान सेक्टर 14  स्थित मान बाग था, यहाँ से दोनों संचलन एक समय पर तय मार्ग पर अलग-अलग निकले जिनका संगम प्रातः 10:30 पर सी. ए. सर्किल पर हुआ एवं इसके बाद दोनों संचलन एक साथ पुनः मान बाग पहुंचे।

संचलन क्रमांक 3 का स्थान आर. के. सर्किल स्थित कृष्णा वाटिका था, यहाँ से दोनों संचलन एक समय पर तय मार्ग पर अलग-अलग निकले जिनका संगम प्रातः 10:16 पर भुवाणा चुंगी नाका पर हुआ एवं इसके बाद दोनों संचलन एक साथ पुनः कृष्णा वाटिका पहुँचे।

 

तेज बरसात के में भी स्वयंसेवकों ने पूर्ण उत्साह और मनोबल के साथ पथ-संचलन किया।  तेज बरसात होने से प्रौढ़ और बाल स्वयंसेवकों को संचलन में भाग नहीं लेने का आग्रह किया एवं संचलन प्रारंभ स्थान पर ही उनके बैठने की व्यवस्था की गयी संचलन में युवाओं ने भाग लिया, उदयपुर की महानगर ईकाई अनुसार नौ नगर और दो खण्ड के स्वयंसेवकों ने संचलन में भाग लिया, संचलन मार्ग में जगह-जगह माताओं-बहनों, समाज जनों एवं सामाजिक संगठनों की ओर से पुष्प वर्षा कर भारत माता की जयकारो के साथ पथ संचलन का स्वागत किया गया।


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