GMCH STORIES

संस्कृति, साहित्य और अपने परिवेश से जुड़ाव का अभिनव प्रयोग : बाल साहित्य मेला 

( Read 1076 Times)

21 Nov 24
Share |
Print This Page
संस्कृति, साहित्य और अपने परिवेश से जुड़ाव का अभिनव प्रयोग : बाल साहित्य मेला 

समकालीन परिवेश में अपने सांस्कृतिक और साहित्यिक सन्दर्भों से नई पीढ़ी को उनके रचनात्मक रुझान के अनुरूप जोड़ते हुए यदि कोई आयोजन उनके कौशल विकास में प्रेरणात्मक पहल करे तो यह बच्चों के सर्वांगीण विकास में एक दिशाबोधक सृजनात्मक पड़ाव के रूप में उभरता है।
सांस्कृतिक, साहित्यिक और शैक्षिक नगरी में यह सन्दर्भ उजागर हुआ जब सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में आयोजित साहित्यिक सम्मान संगोष्ठी में यह विचार उभर कर आया कि - "इस बार बाल दिवस को एक नवाचार के क्रम में बाल साहित्य मेले के रूप में आयोजित कर बच्चों को साहित्य एवं संस्कृति के विविध आयाम से जोड़ते हुए उनकी रचनात्मक सहभागिता की जाये।"
             इस विचार के जनक वरिष्ठ पर्यटक लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने जब अपना मंतव्य स्पष्ट किया तो उपस्थित साहित्यकारों, समाज सेवियों और शिक्षकों ने इसे अच्छी पहल बताया और अपेक्षित सहयोग करने की बात कहकर इस विचार के क्रियान्वयन के लिए सुझाव देकर इसे वैचारिक रूप से आरम्भ किया। 
         विचार की सकारात्मकता और उसकी क्रियान्विति में समर्पण का भाव जब समन्वित हो जाता है तो उसकी यात्रा सहज हो जाती है और कारवाँ बनता चला जाता है। इस वर्ष से आरम्भ यह बाल साहित्य मेला इन्हीं सन्दर्भों में आपसी सहयोग और समर्पण के साथ सम्पन्न होकर आने वाले वर्षों में और अधिक क्रियात्मक स्वरूप में उभारने की प्रेरणात्मक ऊर्जा का संचार कर गया। इसी ऊर्जा का संचार अनुभूत हुआ आयोजन के आरम्भ और समापन के मध्य साकार हुए रचनात्मक परिवेश से...। 
          अवसर रहा संस्कृति,साहित्य, मीडिया फोरम और केसर काव्य मंच द्वारा 'आश्रय भवन ' श्री करनी नगर विकास समिति के तत्वावधान में रविवार 17 नवम्बर 2024 को आयोजित बाल साहित्य मेले का समापन समारोह...। विचार का अभियान बनना और उसका सफलता पूर्वक स्थापित होकर व्यवहारिक और सकारात्मक रूप से उभरना उसकी संचित एवं अर्जित ऊर्जा का प्रमाण होता है जो अभिभूत कर देता है। 
            इन्हीं सन्दर्भों को आत्मसात् करते हुए बाल साहित्य मेले के विचारक- आयोजक और संस्कृति,साहित्य, मीडिया फोरम के संयोजक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने समारोह का संचालन करते हुए बाल साहित्य मेले के विचार उत्पत्ति, उसकी क्रियान्विति और उसके सफलता पूर्वक सम्पन्न होने के सन्दर्भ में कहा कि - "साहित्यकारों और शिक्षकों के सहयोग से विगत 26 सितम्बर 2024 से  कोटा एवं बारां जिलों में विद्यालय से कॉलेज स्तर की अठारह शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजित कहानी - पाठ,  काव्य - पाठ, निबंध, बाल कवि सम्मेलन , चित्रकला, संस्कृति, साहित्य और पर्यटन सम्बन्धित प्रश्नोत्तरी इत्यादि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें  प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर विजेता रहे पैंसठ बालक - बालिकाओं को आज पुरस्कृत किया जा रहा है। इस आयोजन में पाँच हजार से अधिक बच्चे प्रत्यक्ष रूप से साहित्यिक और रचनात्मक गतिविधियों से जुड़े हैं। 
        यही नहीं बाल कविता लेखन प्रोत्साहन प्रतियोगिता में सहभागी रहे साहित्यकारों ने इस रचनात्मक पहल को गति प्रदान कर अनुकरणीय कार्य किया है।" उन्होंने आगे कहा कि - "बच्चों में साहित्य के प्रति रुझान जागृत करने के लिए छोटी सी पहल कर एक कदम चलने का प्रयास किया है। बाल दिवस पर साहित्य के क्षेत्र में सम्पूर्ण राजस्थान में कदाचित् यह पहला ऐसा सामूहिक प्रयास हो जिसे कुछ साहित्यकारों ने मिल कर अपनी सकारात्मक सहभागिता से बच्चों में साहित्य के प्रति आशा और विश्वास का एक दीप प्रज्वलित किया।  बाल साहित्य मेले के इस पावन यज्ञ में इन्होंने अपने मार्गदर्शन और सहयोग की आहुति दी है वहीं केसर काव्य मंच और ' आश्रय' श्री करनी नगर विकास समिति की सहभागिता ने इस पहल को आधार प्रदान किया है।" 
      उन्होंने अपने उद्बोधन में अभिभूत होते हुए बताया कि - विचार को साकार करने में इस कार्यक्रम को आयोजित करने वाले ग्यारह साहित्यकार और शिक्षकों का सम्मान मेरे लिए उत्साह वर्धक है।"
       इसके पश्चात् इस बाल साहित्य मेले के अन्तर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर विजेता रहे पैंसठ बालक- बालिकाओं में से उपस्थित बच्चों को प्रमाण - पत्र एवं साहित्य भेंट कर पुरस्कृत किया गया तथा शेष बच्चों के आयोजक प्रतिनिधि शिक्षक एवं अभिभावक को प्रमाण - पत्र प्रदान किये। साथ ही बाल कविता लेखन प्रोत्साहन प्रतियोगिता में पहले चार स्थान पर रहने वाले साहित्यकार योगीराज योगी, अर्चना शर्मा, अल्पना गर्ग एवं सन्जू श्रृंगी को सम्मानित किया गया। 
        बाल साहित्य मेला आयोजन में पहल कर सक्रिय योगदान और कार्यक्रम आयोजित करवाने वाले  सहयोगी साहित्यकार  डॉ. हिमानी भाटिया, डॉ. अपर्णा पाण्डे, डॉ. इंदु बाला शर्मा, डॉ. वैदेही गौतम, डॉ. प्रीति मीणा, विजय शर्मा, स्नेहलता शर्मा, मंजु कुमारी, महेश पंचोली, विजय जोशी एवं रेखा पंचोली को सम्मानित किया गया।
            इसके पश्चात् मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ' रामू भईया ' ने कहा कि हाड़ोती में किया गया यह प्रथम प्रयास एक अच्छी पहल है। इसकी विशेष उपलब्धि यह रही कि यह ऐसा आयोजन रहा जिसमें न केवल साहित्यकारों, शिक्षकों, बच्चों की भागीदारी रही वरन् अभिभावक भी जुड़े और सभी को उत्साहित भी किया।  विशिष्ट अतिथि राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के संभागीय अधीक्षक डॉ. दीपक श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत किया। विशिष्ट अतिथि केसर काव्य मंच की डॉ. प्रीति मीणा ने कहा कि - "बच्चों के विकास में सहायक यह आयोजन बच्चों की प्रतिभा निखारने पथ बना।"  
       इस अवसर पर पुरस्कृत कक्षा बारहवीं के छात्र कमल मेहता ने माँ पर अपनी स्वरचित कविता - 
माँ, ऐसी ही होती है, 
जब अकेला रहा तो इसकी याद आई, 
अंधेरे में था तो उसकी याद आई, 
जब भूख लगी तो उसकी याद माई, 
सोचने में कितनी आसान 
लगती थी ज़िंदगी 
जब खुद से जीना सीखा 
तो उसकी याद आई, 
ऐसी होती है माँ ...
जो हमारा पेट भर कर भी
खुद भूखी सोती है, 
माँ...ऐसी होती है ...
     सुनाकर सभी श्रोताओं को भाव - विभोर कर दिया। इसके पश्चात् विशिष्ट अतिथि विजय जोशी ने आयोजन के प्रेरक पलों को साझा करने के पश्चात् जब अपना चर्चित गीत " रे बंधु तेरा कहाँ मुकाम, भोर हुई जब सूरज निकला, छूटा तेरा धाम। रे बंधु तेरा..."सुनाया तो श्रोता तालियाँ बजाते हुए झूम उठे। 
          समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र ' निर्मोही ' ने कहा कि - "बच्चों को साहित्य से जोड़ने और रुचि उत्पन्न करने के साथ - साथ उनमें  रचनात्मक साहित्य के प्रति रुझान पैदा करने के लिए ऐसे आयोजन निरन्तर होने चाहिए।"
        फोरम के वरिष्ठ सदस्य किशन रत्नानी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि - "विगत लगभग डेढ़ माह से अलग - अलग दिवसों में आयोजित यह बाल साहित्य मेला अपने अभिनव पहल से हाड़ौती सम्भाग में एक प्रकार से विद्यार्थी, शिक्षक ,अभिभावक की त्रिवेणी का चर्चित समारोह रहा। अगले वर्ष इसे और अधिक सहभागिता के साथ सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध करने और बच्चों के कौशल को विकसित करने का प्रयास होगा।" 
समारोह में उपस्थित और सम्मानित रंगीतिका संस्था की संयोजक स्नेहलता शर्मा ने अपने उद्बोधन में बच्चों के रचनात्मक उन्नयन हेतु आयोजित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों में फोरम को सभी प्रकार से सहयोग देने और सहभागिता करने का आश्वासन देकर अनुकरणीय कार्य किया।इससे पूर्व श्री करनी नगर विकास समिति के संयोजक प्रवीण भंडारी की उपस्थिति में मंचासीन अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया।
          अन्ततः यही कि बच्चों में संस्कृति, साहित्य और अपने परिवेश से जुड़ाव के प्रति रुझान को सम्पोषित करने वाला यह बाल साहित्य मेला अपने अलग स्वरूप में उभर कर रचनात्मक वातावरण को निर्मित करने का हेतु तो बना ही वहीं अपने साथ हर वय के जन को जोड़ने का आधार भी बना।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like