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अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर विशेष सम्मान और यादें

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25 Dec 24
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अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर विशेष सम्मान और यादें

अटल बिहारी वाजपेयी का राजस्थान से था आत्मीय सम्बन्ध

राजनीति में कुछ जननेता ऐसे होते हैं जिन्हें हर कोई राजनैतिक चश्मे से नहीं देखता, बल्कि उनका सभी दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सम्मान करते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी थे जिन्हें उनके राजनीतिक विरोधी दलों के नेता भी दिल से सम्मान देते थे। वाजपेयी का राजस्थान से गहरा संबंध हमेशा रहा है, और उनके साथ जुड़ी कई यादें आज भी यहां के लोगों की जुबान पर ताज़ा हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और भैरोसिंह शेखावत का राजनीतिक संगम भाजपा के आधार स्तंभ के रूप में रहा। वाजपेयी और शेखावत की दोस्ती के कई किस्से हैं, जैसे कि शेखावत की पुत्री की शादी के दौरान वाजपेयी ने रस्में निभाई। आपातकाल के दौरान तिहाड़ जेल में वाजपेयी की हाजिर जवाबी और मजाकिया अंदाज भी चर्चा का विषय बने थे।

वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राजस्थान में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएं हुईं, जैसे भैरोसिंह शेखावत का मुख्यमंत्री बनना और जसवंत सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपना। उनकी यह दोस्ती राजनीति में गहरी छाप छोड़ने वाली थी।

पोकरण-2 और वैश्विक छवि

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने प्रधानमंत्री काल में 1998 में पोकरण में परमाणु परीक्षण कर भारत की शक्ति का प्रदर्शन किया। इस कदम से भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली और उन्होंने साहसिक रूप से आर्थिक प्रतिबंधों का सामना किया।

राजस्थान के साथ अटल जी की धार्मिक आस्था

वाजपेयी का पुष्कर और अजमेर की दरगाह से गहरा संबंध था। वे हर साल उर्स के मौके पर चादर पेश करते थे और पुष्कर सरोवर की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते थे।

राजस्थान में भाषणों का क्रेज और राजनीति

वाजपेयी के भाषणों का क्रेज राजस्थान में जबरदस्त था। उनकी चुनावी सभाओं में भारी भीड़ जुटती थी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी उनकी भाषणों को छुपकर सुनने आते थे। उनके ओजस्वी भाषणों ने कई जनसंघी नेताओं को प्रेरित किया, जैसे सतीश चंद्र अग्रवाल और कैलाश मेघवाल।

अटल जी के पसंदीदा स्थल: माउंट आबू

राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित माउंट आबू वाजपेयी के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक था, जहां वे अक्सर जाते थे।

अटल जी पर पुस्तक 'अटल जी ने कहा'

वाजपेयी जी को श्रधांजलि देने के लिए लेखक और पत्रकार बृजेंद्र रेही की पुस्तक 'अटल जी ने कहा' का दिल्ली में विशेष ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें उनके भाषण और चित्रों का सुंदर संकलन किया गया है।


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