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माणक अलंकरण समारोह में छाया राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने और प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मातृ भाषा में लागू करने का मामला 

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29 Jan 25
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माणक अलंकरण समारोह में छाया राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने और प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मातृ भाषा में लागू करने का मामला 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेन्टर में केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के मुख्य आतिथ्य में आयोजित माणक अलंकरण समारोह में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने और प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मातृ भाषा में लागू करने का मामला छाया रहा।

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने इस मामले की गंभीरता को मानते हुए अपनी बात सधे हुए ढंग से मारवाड़ी में रखी और कहा कि प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मातृ भाषा में लागू करने के मामले में राजस्थान को ही पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि कतिपय कारणों से राजस्थानी, भोती और भोजपुरी को मान्यता देने का मामला सिरे नहीं चढ़ पाया लेकिन सभी के सहयोग इसके अच्छे परिणाम आ सकते हैं । विशेष कर पत्रकारों को भी इस मामले की अगुवाई करने के लिए आगे आना चाहिए। इससे इसकी वांछित एवं सफल परिणीति मिल सकती है। उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा का मुद्दा जन भावनाओं के अनुरूप चलता रहा हैं और इसके पूरा होने तक जारी रहेगा। शेखावत ने राजस्थानी भाषा के लिए पदम मेहता के जुनून की प्रशंसा करते हुए कहा कि पदम सा ने इसे जीवन का मिशन बना दिया है। संसद का कोई सत्र ऐसा नहीं होता जिसमें वे अपने तथ्यों से भरे पत्र के माध्यम से सांसदों को राजस्थानी भाषा के पक्ष में आवाज उठाने तथा मान्यता दिलाने की बात कहे बिना नहीं रहते हैं। मैं उनके धैर्य, संयम और गंभीर प्रयासों का अभिनंदन करता हूं। शेखावत ने पत्रकारिता के बदलते आयामों की चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता की प्रासंगिकता और विश्वसनीयता तथा उसे समाजोपयोगी बनाए रखने में ही लोकतंत्र के चौथे पाए की सार्थकता हैं।पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं मिशन बने यह जरूरी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की संस्कृति, विरासत और दर्शन को मिल रहें सम्मान तथा एवं तकनीकी,आर्थिक,बौद्धिक आदि क्षेत्र में हो रही प्रगति तथा प्रयाग राज महाकुम्भ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं की सहभागिता से भारत की विविधता में एकता का दिग्दर्शन होने आदि बातों पुरजोर शब्दों में चर्चा की।

समारोह में राजस्थानी भाषा के मुद्दे की शुरुआत राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार और जलते दीप समूह  के अध्यक्ष एवं दैनिक जलते दीप और राजस्थानी भाषा की देश में इकलौती पत्रिका माणक के प्रधान संपादक पदम मेहता ने की और विस्तार से इसके पक्ष में तथ्यात्मक जानकारियां दी । उन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और भारत सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मातृ  राजस्थानी में लागू करने की वकालत की । वे राजस्थानी में अपनी बात रखते हुए बहुत भावुक हो उठे।

 

मेहता की बात को आगे बढ़ाते हुए पद्मश्री से सम्मानित और समारोह के विशिष्ठ अतिथि चन्द्र प्रकाश देवल ने राजस्थानी भाषा पर अपने अथाह ज्ञान का भण्डार खोल दिया और दावा किया कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थानी में लिखी गई कविताओं और साहित्य का जो आधिकारिक इतिहास उपलब्ध हैं । वह सभी की आंखें खोलने वाला है। देवल ने कहा कि यदि केन्द्र और राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा को अनुमोदित करती है तो वे अन्य सहयोगियों की मदद से राजस्थान विधानसभा में पारित संकल्प पत्र में शामिल राजस्थान के विभिन्न अंचलों की राजस्थानी बोलियों एवं भाषाओं पर आधारित सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी ले सकते हैं। उन्होंने कई ऐतिहासिक त्रुटियों और तकनीकी दोषों की ओर भी संकेत किया तथा धरोहरों, विरासत एवं संस्कृति की सटीक ढंग से व्याख्या की।

समारोह के राजस्थानी भाषा मय होने पर विशिष्ठ अतिथि राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा कि लगता है यह माणक  अलंकरण समारोह राजस्थानी संगोष्ठी के समदृश्य तब्दील हो गया है। उन्होंने इस मामले में पक्ष प्रतिपक्ष की एक अलग संगोष्ठी आयोजित कर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की नई रणनीति बनाने की जरुरत बताई।

 

समारोह की अध्यक्षता कर रही हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्व विद्यालय की कुलपति प्रो सुधि राजीव ने घोषणा की कि वे विश्व विद्यालय की आगामी गवर्निंग बॉडी की बैठक में राजस्थानी भाषा में जर्नलिज्म कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव रखने का प्रयास करेंगी,ताकि राजस्थानी भाषा को बढ़ावा मिल सकें।

समारोह के विशिष्ठ अतिथि और सिविल लाइंस जयपुर के विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि मुझे भी यह प्रतिष्ठित माणक अलंकरण से सम्मानित होने का गौरव मिला है। उन्होंने कहा कि इस अलंकरण समारोह में पक्ष प्रतिपक्ष के नेताओं के एक साथ मंच सांझा करने की अनूठी परम्परा लोकतांत्रिक सिस्टम को ताकत देने वाली है। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत अपरिहार्य कारण वश एक बार इस समारोह में नहीं आ पाए थे लेकिन दूसरे ही दिन उन्होंने सभी अवार्ड प्राप्त कर्ताओं को अपने यहां बुला उनको अभूतपूर्व सम्मान दिया था तथा उस कार्यक्रम में शेखावत मंत्रिमंडल के सभी सदस्य भी मौजूद रहे थे। उन्होंने उस कार्यक्रम में जयपुर प्रेस क्लब की घोषणा भी की थी।समारोह में जब बताया गया कि भैरोसिंह शेखावत और अशोक गहलोत ने माणक अलंकरण समारोह का मंच एक साथ सांझा किया था तो सभागृह करतल ध्वनि से गूंज उठा। विधायक और पत्रकार गोपाल शर्मा ने कहा कि अशोक गहलोत स्वयं कहते है कि उन्होंने जलतेदीप जैसे अखबार पढ़ राजनीति सीखी हैं। उन्होंने कर्पूरचंद कुलिश और राज्य के अन्य लब्ध प्रतिष्ठित पत्रकारों के नामों का उल्लेख करते हुए कहा कि राजस्थान में पत्रकारिता और राजनीति के उच्च आदर्श और परंपराएं रही हैं।

माणक अलंकरण समारोह के राजस्थानी भाषा का पर्याय बनने से उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान की सात करोड़ से अधिक जनता और देश विदेश में रहने वाले करोड़ों प्रवासी राजस्थानियों को अपने जीवन काल में ही इस सपने को साकार होते देखने का सौभाग्य मिल सकता हैं।


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