गोपेन्द्र नाथ भट्ट
देश विदेश के हर क्षेत्र में पहुंच कर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले प्रवासी राजस्थानियों में कई ऐसे उद्योगपति हुए है जिन्होंने अकूत संपति कमाने के बावजूद समाज सेवा का जज्बा नहीं छोड़ा। यही कारण है कि मारवाड़ियों के नाम से विख्यात प्रवासी राजस्थानी जहां भी गए वहां उन्होंने न केवल उस क्षेत्र के विकास में बल्कि उस प्रदेश और देश की जीडीपी को बढ़ाने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। साथ ही समाज सेवा के कार्य और अपनी जन्म भूमि को भी कभी नहीं भूला तथा राजस्थान में भी समाज सेवा के कई कार्य किए। ऐसी ही एक कहानी है स्वर्गीय मदन लाल अग्रवाला की।
देश की राजधानी नई दिल्ली के पंजाबी बाग जन्माष्टमी पार्क में चैत्र नव वर्ष और नवरात्री में एकल श्री राम कथा और सहस्त्र नव चंडी महायज्ञ का नौ दिवसीय भव्य आयोजन हुआ जिसमें सुविख्यात कथावाचक पोरबंदर गुजरात के रमेश भाई जी ओझा के मुखारविंद से हजारों लोगों ने कथा का श्रवण किया। इस विशाल कार्यक्रम का आयोजन एकल अभियान की एक घटक संस्था भारत लोक शिक्षा परिषद के रजत जयंती वर्ष पर किया गया था जिसमें अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी सहित कई जाने माने सन्त और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तथा अन्य राजनेताओं ने भी भाग लिया।
इस भव्य आयोजन की एक खास बात ,एकल एक क्रान्ति पुस्तक का लोकार्पण भी रहा । इस पुस्तक की लेखिका भाजपा की फायर ब्रांड मुस्लिम युवा नेता नाजिया इलाह खान हैं। पुस्तक की प्रस्तावना योग गुरु स्वामी रामदेव ने लिखी है। जी टीवी से सम्बद्ध तथा भारत लोक परिषद के संस्थापक ट्रस्टी लक्ष्मी नारायण गोयल ने पुस्तक के सम्पूर्ण कलेवर और विषय वस्तु के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
पुस्तक में एकल विद्यालय की आवश्यकता क्यों पड़ी तथा इसकी अवधारणा को कैसे मूर्त रूप दिया गया तथा एकल अभियान कैसे एक मौन क्रान्ति से सामाजिक क्रांति में बदला एवं वर्तमान में इसकी सहयोगी संस्थाओं के कार्य कलापों के अलावा उनकी रोमांचक यात्राओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। सबसे दिलचस्प बात एकल अभियान के नीव के पत्थर माने जाने वाले प्रवासी राजस्थानी मदन लाल अग्रवाला का एकल विद्यालय के लिए दिए गए अभूतपूर्व योगदान का पुस्तक में किया गया उल्लेख काफी अहम है।
मदन लाल अग्रवाला का परिवार राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लायल गाँव का था जिनकी दक्षिणी बिहार (वर्तमान झारखंड राज्य) में कोयला की अनेक खदानें थी। मदन लाल अग्रवाला इस क्षेत्र के कोल किंग माने जाते थे और उनके पिता और परिवार ने अपने इस उद्योग एवं व्यापार से करोड़ों रु कमाएं लेकिन मदन लाल अग्रवाला का जुनून ऐसा था कि उन्होंने दक्षिणी बिहार (वर्तमान झारखंड राज्य) के बियाबान जंगलों में रहने वाले अति पिछड़े और निर्धन तथा मिशनरी संस्थाओं के चंगुल में फंसे लाचार आदिवासियों की शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने उद्योग एवं व्यापार में लाभ हानि को देखें बिना एक गांव, एक स्कूल और एक शिक्षक के एकल अभियान को जमीन पर उतारने में सहयोग किया । उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल,एकल अभियान के जनक,प्रेरक और मार्गदर्शक श्याम गुप्ता ,मांगी लाल जैन ,पी डी चितलांगिया,अमेरिका से न्यूक्लियर वैज्ञानिक की नौकरी छोड़ झारखंड के वनवासी इलाकों में शिक्षा की चिंगारी फैलाने वाले डॉ राकेश पोपली और उनकी पत्नी रमा पोपली आदि के साथ झारखंड के धनबाद जिले में एकल विद्यालय शुरू कराने में अपूर्व योगदान दिया। उन्हें काम सेवा का ऐसा जुनून चढ़ा कि मृत्यु शैय्या पर पड़े पिता ने उन्हें अपने व्यापार की याद दिलाई और कहा कि तुम समाज की सेवा तभी कर पाओगे जब व्यापार में मुनाफा कमा कर इस योग्य बने रहोगे अन्यथा कही के नहीं रहोगे। पिता की इस सीख के बाद उन्होंने न केवल अपने उद्योग और व्यापार को और अधिक बढ़ाया वरन उसे नई ऊंचाइयों तक ले गए लेकिन अंततोगत्वा सब व्यापार अपने परिवार जनों को सुपुर्द कर एकल अभियान को अपना शेष जीवन समर्पित कर दिया। यह इतिहास पुरुष राजस्थान के उस झुंझुनूं जिले के थे जिसमें देश दुनिया को घनश्याम दास बिड़ला, डालमिया, स्टील किंग एल एन मित्तल जैसे महान व्यापारी दिए है।
एकल एक क्रान्ति पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक विदेशी पत्रकार के साथ ताजा पॉडकास्ट को भी शामिल किया गया है जिसमें उन्होंने एकल अभियान की भूरी भूरी प्रशंसा की है। पुस्तक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का शुभ कामना संदेश भी प्रकाशित किया गया है।
एकल अभियान के अंतर्गत आज देश में एक लाख गांवों में एक लाख एकल विद्यालय है जिनमें करीब चार करोड़ बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा के साथ पंचमुखी शिक्षा द्वारा संस्कारित और स्वावलंबी बनाया गया है तथा ग्रामोत्थान के अनेक कार्य हुए हैं।
एकल एक क्रान्ति पुस्तक में देश के सीमावर्ती अंचलों के आतंकवादी, मांओं वादी, नक्सलवादी आदि क्षेत्रों की रोंगटे खड़ी करने वाली सच्ची कहानियों तथा एकल अभियान के सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक तथा वैश्विक प्रभाव का सचित्र वितरण और संत समाज,राजनेताओं, सेलिबेट्रीज आदि कई लोगों के विचार और संस्मरणों के साथ ही भारत लोक परिषद की 25 वर्षों की गौरवशाली यात्रा को भी शामिल किया गया है।
पुस्तक के लेखन में लेखिका शाजिया इलाही खान को राजेश गुप्ता,सुनील गुप्ता,डॉ कीर्ति गोयल, गोपेन्द्र नाथ भट्ट, लोकेश शर्मा, डी पी मिशा आदि के संपादक मंडल और सहयोगी टीम का महत्वपूर्ण इन पुट मिला । पुस्तक के आवरण पृष्ठ की डिजाईन अमित कुमार गौड ने की है।
देश के सुदूर पिछड़े और आदिवासी अंचलों में शिक्षा की अलख दिखाने वाले अग्रदूतों में प्रवासी राजस्थानी मदन लाल जी अग्रवाल जैसी अनेक हस्तियों के नाम शामिल है जिनकी अनकही कई कहानियां अभी भी जग जाहिर होना शेष हैं।