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सप्त शक्ति कमान के 21वें स्थापना दिवस से पूर्व एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

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15 Apr 25
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सप्त शक्ति कमान के 21वें स्थापना दिवस से पूर्व एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

सप्त शक्ति कमान के 21वें स्थापना दिवस से पूर्व एक शानदार सांस्कृतिक संध्या का आयोजन जयपुर मिलिट्री स्टेशन के कैवलरी पोलो ग्राउंड में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान के माननीय राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े थे। इस कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह, आर्मी कमांडर, सप्त शक्ति कमान, कमान के पांच पूर्व आर्मी कमांडर, पांच पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ, सीनियर मिलिट्री वेटरन्स , सिविल गणमान्य , स्टेशन के सभी रैंक और उनके परिवार भी उपस्थित थे।
सांस्कृतिक संध्या में भारत की मार्शल विरासत और सांस्कृतिक समृद्धि का एक मनमोहक प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में ‘कलारीपयट्टू और चेंट्टामेलम’, ‘मल्लखंब’, ‘नागा नृत्य’ और सिम्फनी ‘बैंड डिस्प्ले’ के मनोरंजक प्रदर्शन शामिल थे। सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण 61 कैवेलरी द्वारा प्रस्तुत एक भव्य ‘घुड़सवारी शो’ और एक रोमांचकारी ‘पैरामोटर डिस्प्ले’ था जिसने दर्शकों को सम्मोहित कर किया।
दक्षिणी पश्चिमी कमान की स्थापना पहले आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल के नागराज द्वारा 15 अप्रैल 2005 को जयपुर में की गई थी तथा 15 अगस्त 2005 को परिचालन में लाया गया। दक्षिणी पश्चिमी कमान भारतीय सेना की सातवीं और सबसे युवा कमान है।

पिछले 21 वर्षों में, सप्त शक्ति कमान ने न केवल देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की है, बल्कि ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस और प्रोफेशनल एक्सीलेंस के उच्चतम मानकों को भी प्राप्त किया है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि सुदृढ़ प्रशिक्षण, नवीन तकनीकों को आत्मसात करने तथा नवीन तकनीकी एवं सामरिक प्रक्रियाओं के विकास से संभव हुई  है। इन्हीं प्रयासों से, यह कमान भविष्य के युद्धक्षेत्र की चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक फ्यूचर-रेडी, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन, लीथल और एजाइल फोर्स के रूप में उभरी है।

यह सांस्कृतिक संध्या एकता और गौरव के उत्सव के रूप मनाई गई  जो सप्त शक्ति कमान के मूल्यों का प्रतीक है। सभी रैंकों के परिवारों और वेटरन्स  ने मिलकर  इस शाम को यादगार बनाया ।
सप्त शक्ति कमान अपने 21वें स्थापना दिवस पर यह संकल्प लिया है कि वह विगत 21 वर्षों की भांति ही, अपने उत्कृष्ट पेशेवर कौशल और अदम्य साहस के साथ, हर नई चुनौती का सामना करने के लिए सदैव तत्पर रहेगी । कमान अपने आदर्श वाक्य 'सदैव विजयी' का अनुसरण करते हुए, राष्ट्र की अखंडता की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और भारतीय सेना की गौरवमयी विरासत को  सुदृढ़ करता है।


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