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बोमेन रोग या त्वचा का सतही कैंसर का यूनानी चिकित्सा से उपचार: डॉ. लियाकत अली मंसूरी 

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30 Sep 24
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बोमेन रोग या त्वचा का सतही कैंसर का यूनानी चिकित्सा से उपचार: डॉ. लियाकत अली मंसूरी 

बोरेन रोग क्या है __
                  बोवेन रोग त्वचा का सतही कैंसर होता है ।  यह पपड़ीदार लाल त्वचा फटी हुई, चपटे, रक्त स्राव ,अल्सरयुक्त , एक या अधिक छोटे पैच के रुप में दिखाई देता हैं। ये पेच धीरे धीरे बढते हैं । यह त्वचा में या शरीर के अन्य हिस्सों में गहराई तक नहीं फैलता हैं। चूंकि इस तरह के कैंसर की कोशिकाएं सिर्फ़ त्वचा की बाहरी परत एपीडर्मिस में ही रहती हैं और अन्य कोशिकाओं पर आक्रमण नहीं करती हैं । इसलिए ये गंभीर समस्याएं पैदा नहीं करता हैं। इसीलिए इस बीमारी को "त्वचीय स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा इन सीटू" भी कहते है। त्वचीय स्क्वैमस कोशिकाएँ ही त्वचा के बाहरी हिस्से को बनाती हैं। कार्सिनोमा का अर्थ है कैंसर, और 'इन सीटू' का अर्थ है 'स्थान पर'। यह बाहरी त्वचा में होने के कारण इसे  'पूर्व-कैंसर' भी कहते हैं।  

बोमैन रोग शरीर पर किस जगह को चुनती हैं__
                खुली त्वचा पर जहां अक्सर सूरज के संपर्क में आते हैं जैसे__घुटने के नीचे पैर , गर्दन या चेहरा , नाखूनों के नीचे या आसपास , हाथों की हथेलियां , पैरों के तलवों  , गुदा मार्ग के आसपास , जननांग क्षेत्र में।

                  लिंग पर होने वाली बोवेन बीमारी को 'एरिथ्रोप्लासिया ऑफ़ क्यूयराट' कहते हैं। जननांगों या गुदा को प्रभावित करने वाले बोवेन रोग के अन्य स्थानों पर होने वाले बोवेन रोग की तुलना में त्वचा कैंसर में विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है।

बोवेन रोग के कारण हो सकते है__
                  लंबे समय तक धूप में रहना , सनबेड का उपयोग करना , पूर्व में रेडियोथेरेपी उपचार ले चुका हो , इम्यूनोसप्रेशन जैसे कि एड्स है, या कैंसर का इलाज ले रहे हैं,या अंग प्रत्यारोपण करवा चुके हैं या प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए दवाएँ ली हैं , मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) से संक्रमण , त्वचा पर पहले लगी चोट । यदि आपकी त्वचा पर पहले कभी कोई चोट लगी है, जिससे लगातार दीर्घकालिकत्वचा क्षति या निशान पड़ गए हैं, तो उस क्षेत्र में बोवेन रोग विकसित होने का खतरा बढ़ सकती है , सूजन संबंधी त्वचा की स्थिति जैसे कि एक्जिमा जैसी पुरानी त्वचा सूजन की समस्या वाले लोगों में बोवेन रोग विकसित हो सकता है।

बॉवेन रोग सबसे अधिक किन लोगों को होता है__
               महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक , 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग , गोरी त्वचा वाले लोग , शरीर के उन भागों पर जहां की त्वचा सूर्य के संपर्क में आती है , यदि पहले त्वचा कैंसर के समूह में से कोई एक हो चुका है, जिसे गैर-मेलेनोमा त्वचा कैंसर कहा जाता है, तो उसे बोवेन रोग होने की अधिक संभावना हो सकती है। 

बोवेन रोग का निदान __
              त्वचा का एक छोटा सा नमूना ( बायोप्सी ) लेकर उसमें बोमैन कोशिकाओं को ढूंढा जाता है।

हर्बल यूनानी चिकित्सा __
1.त्वचा पर क्रीम का इस्तेमाल _जिंक पाउडर , सेलिसाइक्लिक एसिड पाउडर , नोसादर, सरतान, कुश्ता ए अभ्रक आदि मिला कर रोगन कलौंजी के साथ बना कर प्रभावित क्षेत्र पर सुबह शाम लगाया जाता हैं।
2.यूनानी चिकित्सा में दवाओं को कंपाउंड के रुप में दिया जाता हैं । जैसा कि सभी दवाओं को  शहद और रोगन कलौंजी के साथ माजून बना कर दिया जाता हैं इसमें काफूर , संदल सफ़ेद, संदल सुर्ख, संदल जर्द, तुखम ए काहू, समग ए अराबी , गोंद कतीरा,तबाशीर , गुल ए सुर्ख, अस्लुस्सोस मुकशशर, रूबबुस्सोस , निशास्ता, खुर्फा स्याह, मघी तुख्म ए कद्दू शीरीन, मग्ज  तुख्म ए ख्यारेन , मग्ज तुख्म ए खरपजा, तुख्म ए खशखश सफ़ेद , सरतान मुहर्रक, लऊक ईसबगोल, कुश्ता ए हीरक , कुश्ता ए पन्ना, कुश्ता ए सुवर्ण, रस कपूर, सर्वेश्वर परपटी, कुश्ता ए ताम्र , सफ़ेद मरी, पुनर्नवा, सरागवा, वयवरूण , यष्टि मधु, गिलोय, अर्दुषी, हल्दी , पिप्पली , चन्दन, मुलेठी, लौकी  आदि को मिला कर बनाया जाता हैं। सही चिकित्सा के लिए अनुभवी यूनानी चिकित्सक से ही परामर्श लेना चाहिए ।

बचाव __
              अत्यधिक धूप से बचना चाहिए ख़ासकर सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच , धूप में बाहर निकलते समय शरीर को कपड़े और चौड़ी टोपी से ढकें , बच्चों या गोरी त्वचा वाले लोगों के सनस्क्रीन लगाएं, जिसमें उच्च यूवीए सुरक्षा भी हो।
 


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