राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस विशेष अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य समाज में मानवाधिकारों के महत्व को समझाना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना था। कार्यक्रम का नाम "विधिक संवाद" रखा गया, जिसमें विभिन्न मान्यवरों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और समाज को मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों के प्रति सजग किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा ने भाग लिया। अपने उद्घाटन भाषण में, उन्होंने मानवाधिकार दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि 10 दिसंबर का दिन एक ऐतिहासिक महत्व रखता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में मानवाधिकार दिवस के रूप में घोषित किया था। उन्होंने बताया कि इस दिन का उद्देश्य विश्वभर में मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसे संरक्षित करने के प्रति सजग रहना है। उनका मानना था कि हर व्यक्ति को समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए, और इसके लिए समाज के प्रत्येक सदस्य को सक्रिय रूप से प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ललित शर्मा, लोक अभियोजक, पोस्को न्यायालय कोटा ने 2024 की मानवाधिकार दिवस की थीम "हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी" पर विशेष ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि यह थीम इस बात को रेखांकित करती है कि मानवाधिकार हमारे रोजमर्रा के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी रूप में नहीं किया जाना चाहिए, और हर व्यक्ति को समान और निष्पक्ष उपचार का अधिकार है।
संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य भेदभाव, असमानता और उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता फैलाना है। उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकालय, ज्ञान और सूचना के प्रचार के माध्यम से समाज में जागरूकता लाने का एक महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, और इस संदर्भ में यह आयोजन अत्यधिक महत्वपूर्ण था। डा. श्रीवास्तव ने कहा कि जैसे जैसे समय बीत रहा है, समाज में मानवाधिकारों को लेकर निरंतर जागरूकता बढ़ रही है, और पुस्तकालय इसका एक अभिन्न हिस्सा हैं।
कार्यक्रम की संयोजिका डा. शशि जैन ने कहा कि मानवाधिकार केवल कुछ विशेष वर्गों के लिए नहीं, बल्कि यह सभी के लिए समानता और सम्मान सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि मानवाधिकारों में जीवन का अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य तक पहुंच, और समाज में समता का अधिकार शामिल है। यह अधिकार सभी जातियों, धर्मों, लिंगों और राष्ट्रीयताओं से परे हैं, और इन्हें हर नागरिक को समान रूप से मिलना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) के बारे में भी जानकारी दी गई और यह बताया गया कि दुनिया भर में इन अधिकारों के सम्मान और पालन के लिए निरंतर संघर्ष जारी है। कार्यक्रम का संचालन रामनिवास धाकड़ ने किया, जबकि प्रबंधन का जिम्मा अजय सक्सेना और रोहित नामा ने संभाला।
इस आयोजन ने कोटा में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता को एक नई दिशा दी। यह न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता के अधिकारों के महत्व को भी उजागर किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने इस पहल का स्वागत किया और यह संकल्प लिया कि वे मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार के लिए अपने योगदान में वृद्धि करेंगे।