GMCH STORIES

पिम्स में डॉक्टरों ने ‘भूत-प्रेत का साया’ समझी गई महिला की जान बचाई

( Read 799 Times)

26 Mar 25
Share |
Print This Page

पिम्स में डॉक्टरों ने ‘भूत-प्रेत का साया’ समझी गई महिला की जान बचाई

उदयपुर। पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों ने भूत-प्रेत का साया समझी गई महिला की जान बचाई है। पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि प्रतापगढ़ जिले के लोहारगढ़ की 32 वर्षीय गृहिणी को 13 मार्च को होली से एक दिन पहले पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। जब मरीज को लाया गया, तो उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे। परिवार के अनुसार, पिछले 5 दिनों से उनका व्यवहार अजीब था, जैसे उन पर किसी आत्मा का साया हो। परिजनों ने बताया कि वह खाना नहीं खा रही थीं, सो नहीं रही थीं और मरे हुए रिश्तेदारों के बारे में जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। उनकी आवाज़ भी बदल गई और बहुत तेज़ व भारी हो गई थी। कभी-कभी वह आसपास के लोगों को ज़बरदस्ती पकड़ लेती थीं। डर के कारण परिवार उन्हें पहले भोपों और तांत्रिकों के पास ले गया, जिन्होंने कहा कि उन पर भूत-प्रेत का साया है और वह नहीं बचेंगी। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि जब डॉक्टरों ने मरीज को आईसीयू में भर्ती करने को कहा तो उसके पति ने डरते हुए कहा कि अगर आप जान बचाने की गारंटी देते हैं, तभी हम भर्ती करेंगे लेकिन डॉक्टरों ने परिवार का विश्वास जीतकर उन्हें अस्पताल में एक हफ्ते तक रखने के लिए राज़ी कर लिया।
डॉक्टरों ने उन्हें 24 घंटे तक बेहोशी की दवा (डेक्समेडिटोमिडीन इन्फ्यूजन) देकर शांत किया। जांच में केवल हल्की पोटेशियम की कमी (हाइपोकैलेमिया) पाई गई, जिसे ठीक किया गया। उनका ईईजी और एमआरआई ब्रेन स्कैन सामान्य आया। इलाज के दौरान उन्हें मिर्टाज़ेपिन की हाई डोज़, दो बार ईसीटी (इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी) और हिप्नोटिक सुझाव दिए गए। इससे उनकी हालत पूरी तरह ठीक हो गई। इस इलाज को डॉ. प्रवीन खैरकर (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एमडी) की अगुवाई में डॉ. अमित कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर, एनेस्थीसिया), डॉ. अर्चिश खिवसारा, डॉ. मनीषा मीणा और मनोरोग विभाग के डॉक्टरों - डॉ. इशु बामल, डॉ. दिव्या चड्ढा और डॉ. योशा रघुवंशी ने सफलतापूर्वक पूरा किया।
पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि यह मामला दिखाता है कि भूत-प्रेत के डर के बजाय, समय पर डॉक्टरों पर भरोसा करना ज़रूरी है। अक्सर लोग मानसिक बीमारी को अंधविश्वास से जोडक़र तांत्रिकों के पास चले जाते हैं, जिससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है। विशेषज्ञों की सलाह है कि ऐसे मामलों में सही समय पर इलाज कराना चाहिए, ताकि मरीज को जल्द से जल्द स्वस्थ किया जा सके।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like