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बालक को शिक्षित करने से पहले पालक को शिक्षित और संस्कारित होना होगा-साध्वी डॉ संयमलता

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08 Sep 24
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बालक को शिक्षित करने से पहले पालक को शिक्षित और संस्कारित होना होगा-साध्वी डॉ संयमलता


उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ.संयमलता म. सा.,डॉ. अमितप्रज्ञाजी म. सा., कमलप्रज्ञाजी म. सा., सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्व पर्युषण के सातवे दिन संस्कारों का शंखनाद विषय पर विशेष प्रवचन हुआ।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा आज शिक्षा बहुत है संस्कार रत्ती भर भी नहीं है। चर्चा तो बहुत है पर व्यवहार बिल्कुल नहीं है। शिक्षा के बोझ में दबकर संस्कारों का दम निकल रहा है। शिक्षा का भी बड़ी तेजी से पश्चिमीकरण हो रहा है। हमारा ज्ञान, हमारी भाषा पश्चिम का अंधानुकरण कर रही है।
साध्वी ने आगे कहा अपनी संतान को भारतीय संस्कृति का बोध कराएं। नारी का बहुत बड़ा दायित्व है। नारी शिक्षा ही नहीं देती संस्कार भी देती है। बालक को शिक्षित करने से पहले पालक को शिक्षित और संस्कारित होना होगा। नारी को शिक्षित करने की पहली आवाज़ धरती पर जिन्होंने उठाई, वह थे प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव, जिन्होंने अपनी पुत्रियों को पहली बार शिक्षा प्रदान की। दोनों पुत्रियों को अपने पास बिठाकर बड़ी बेटी ब्राह्मी को अंक ज्ञान और छोटी बेटी सुंदरी को अक्षर ज्ञान दिया। सबसे पहले शिक्षा प्राप्त करने वाली नारी ही नहीं, ब्राह्मी और सुंदरी सबसे पहले संस्कार प्राप्त करने वाली भी थी।
 साध्वी ने आगे कहा प्रगतिशीलता, अंधी पश्चिमी झलक और आधुनिक बनने की होड़ से परहेज करते हुए हम अपने परिवार व समाज को दूषित होने से बचा सकते हैं और अपने विलुप्त होते हुए सदाचार और श्रावकाचार की पुनः स्थापना कर सकते हैं,नष्ट होती मानवता को बचा सकते हैं। आज ही हमें संकल्प करना होगा, तभी आने वाली पीढ़ियों, आने वाले समाज, आने वाले समय में  घर, समाज व राष्ट्र को सुरक्षित व संस्कारित बना सकते हैं।
 मंगलाचरण पश्चात साध्वी सौरभप्रज्ञा ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। द्वार खुले चंपा के विषय पर सुंदर सी नाटिका का आयोजन हुआ। मध्यान्ह में साध्वी अमितप्रज्ञा ने कल्पसूत्र का वाचन किया। उसके पश्चात जैन हौज़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।


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