GMCH STORIES

शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में संगम विश्विद्यालय राजस्थान में अग्रणी

( Read 4893 Times)

06 Jul 24
Share |
Print This Page
शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में संगम विश्विद्यालय राजस्थान में अग्रणी

            भीलवाड़ा ,भारत के आई.आई.आर.ऍफ़ रैंकिंग में सेतिसवां और  राजस्थान में तीसरा स्थान के गौरव से गौरवान्वित संगम विश्वविद्यालय  अब शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजस्थान का सिरमौर बन गया है ।

<br /><img src="http://www.pressnote.in/upload/498501A.jpg" style="max-width:400px; padding:5px;" align="left"><br />

 शिक्षा शास्त्र विषय के प्रोफ़ेसर संगम विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रोफ़ेसर मानस रंजन पाणिग्रही जिनका सम्पूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित है जिन्होंने लगभग 18 देशों में जाकर भारतीय शिक्षा प्रणाली की जोत जगाई है ,जिन्होंने एन इ पी 2020 में भी बहुत सहयोग किया है ,ने बताया की राजस्थान में पहली बार संगम विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में विश्वस्तरीय पाठ्यक्रम जैसे शिक्षा प्रौद्योगिकी में एमए,शिक्षा नेतृत्व में पीजी डिप्लोमा,गाइडेंस और काउंसलिंग में डिप्लोमा जैसे पाठ्यक्रम इस नवीन सत्र 2024-25 से प्रारम्भ किये जा रहे हैं । ज्ञात हो कि इस पाठ्यक्रम के बोर्ड ऑफ़ स्ट्डी में पधारे शिक्षा जगत के जाने-माने विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर रजनी रंजन सिंह,दिल्ली विश्विद्यालय  ,शिक्षा शास्त्र संकाय एवं डॉ.निराधार दे इंदिरागांधी राष्ट्रिय मुक्त विश्विद्यालय दिल्ली,के शिक्षा शास्त्र संकाय के कुशल मार्गदर्शन में यह कोर्स संचालन हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी थी । उपरोक्त पाठ्क्रम से विद्यार्थी शिक्षा क्षेत्र में शैक्षणिक, प्रशासनिक और प्रबंधकीय पेशेवरों को शैक्षिक नेतृत्व के महत्वपूर्ण आयामों को समझने और कौशल, दक्षता  दृष्टिकोण विकसित करने के लिए तैयार हो जाता है , जो शिक्षा जगत में मुखिया के रूप में सशक्त बना सकता है ताकि वे अपने संस्थानों और संगठनों को मजबूत कर सकें और समाज को विकास की ओर ले जाने के लिए शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए नए रास्ते प्रशस्त कर सकें । उपरोक्त पाठ्यक्रम का अध्ययन छात्रों को विभिन्न परिस्थितियों में परामर्शदाता के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक ज्ञान और योग्यता प्रदान करता है । यह कार्यक्रम युवा किशोरों की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करता है क्योंकि वे अपने निजी जीवन, कार्य स्थल  और पारस्परिक संबंधों में अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं । मार्गदर्शन और परामर्शदाता छात्रों को उनकी क्षमताओं, रुचियों और समग्र व्यक्तित्व का पता लगाने और विकसित करने और जब भी आवश्यक हो निर्णय लेने और समायोजन करने में मदद करता है । साथ ही शिक्षार्थी को शिक्षण, अनुसंधान, शैक्षिक संस्थानों में प्रशिक्षण, एक उद्यमी के रूप में उद्योगों और संबंधित कार्यों में कैरियर के लिए तैयार करता है, जिसमें एक अनुदेशात्मक डिजाइनर, शैक्षिक सलाहकार, शैक्षिक प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, प्रबंधक के मुखिया के रूप में कार्य करना शामिल है ।

   कुलपति प्रोफ़ेसर करुणेश सक्सेना ने इस पहल की सरहना करते हुए कह की  “भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व आज शिक्षा के क्षेत्र में नित नयी चुनौतियों से जूझ रहा है ,अतःइस स्थिति में शिक्षाविदों को  शिक्षा के क्षेत्र में नवचार करना अत्यन्त आवश्क हो जाता है” ।  इसी प्रांजल उद्देश्य की पूर्ती हेतु संगम विश्विद्यालय के स्कूल ऑफ़ एजुकेशन ने नवाचार के रूप में उपरोक्त पाठ्यक्रम लागू किया है जिसमे प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी पाठ्यक्रम डेवलपर, पाठ्यपुस्तक और संसाधन डेवलपर, शिक्षक शिक्षक और शोधकर्ता जैसी विभिन्न भूमिकाओं में स्वतंत्र हस्तक्षेप की योजना बनाना । सोशल मीडिया के माध्यम से ज्ञान तेजी से फैलता है, दुनिया भर के विभिन्न राज्यों और देशों में रहने वाले विभिन्न व्यक्तियों से संवाद करना आसान होता है। ऐसे में सभी युवा जैसे विद्यार्थी, बेरोजगार, नौकरीपेशा, उद्योगपति, व्यवसायी, किसान, स्वरोजगार या किसी भी व्यवसाय में लगे लोग सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त ज्ञान से लाभान्वित होते हैं । स्व-प्रेरित व्यावसायिक प्रगति के लिए योग्यताएँ विकसित करना। शैक्षणिक संस्थानों की पारंपरिक सेटिंग्स को बदलना और शिक्षा क्षेत्र में रोज़गार और रोजगार योग्यता उत्पन्न करना। "एन ई पी 2020" के विशेष संदर्भ में शैक्षिक समाज की वर्तमान आवश्यकताओं को क्रियान्वित करना । एक पेशेवर परामर्शदाता और शिक्षक के रूप में अगली पीढ़ी को परामर्श देना। "विकसित भारत@2047" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज का नेतृत्व करना ।

यह सर्वमान्य तथ्य है कि ज्ञान कला, सभ्यता, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, विधि शिक्षा आदि के रूप में मान्यता प्राप्त सभी मानवीय उपलब्धियों का सर्वोच्च ज्ञात विभाजक है। अंतिम उल्लिखित लक्ष्य, शिक्षा किसी भी संदेह या विवाद से परे ज्ञान का सबसे बड़ा लाभार्थी है । यह न केवल मानवता की इस वित्तपोषित पूंजी को आत्मसात करती है, जो युगों से हस्तांतरित होती रही है, बल्कि इसे संरक्षित भी करती है, और इसके नए रूप और उपयुक्त रूपरेखा में पुन: प्रस्तुत करती है ।ज्ञान के संबंध में शिक्षा का यह कार्यात्मक द्वंद्व कई अनुशासनात्मक सुरक्षा को ज्ञान के सिद्धांत के रूप में इसके सार और अभिव्यक्ति में ज्ञान की पवित्रता से संबंधित करने के लिए आमंत्रित करता है, किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने के रूप में कार्य करता है कि शिक्षा अपनी ताकत और सीमा की प्राप्ति की दिशा में इस पाठ्यक्रम में इतना अधिक अनुभव करती है, एक ज्ञानमीमांसा की घोषणा करती है जो न केवल शिक्षा की सैद्धांतिक जरूरतों को पूरा करती है ।

उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाला विद्यार्थी शिक्षक एक सफल शिक्षक के रूप में  ई-लर्निंग प्रशिक्षक,मल्टीमीडिया सामग्री डेवलपर,मीडिया विशेषज्ञ,पाठ्यक्रम डिजाइनर,ऑनलाइन और मिश्रित शिक्षण पर प्रशिक्षक,निर्देशात्मक डिजाइन,शोधकर्ता आदि आदि भूमिकाओं में जीवन यापन करके इस जीवन की सार्थकता कर सकता है ।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like