उदयपुर राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र पारस अस्पताल उदयपुर में वैरिकोज वेन्स से पीड़ित 60 वर्षीय मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। मरीज को पैर के दाहिने तरफ गंभीर दर्द, खुजली व सूजन की शिकायत थी। जांच करने पर सामने आया कि मरीज को वैरिकोज वेन्स की समस्या है। डॉ. अभिषेक व्यास, कंसल्टेंट, लेप्रोस्कोपिक जनरल एंड बेरिएट्रिक सर्जरी, पारस अस्पताल, उदयपुर ने वेनासील तकनीक की मदद से बगैर किसी कॉम्प्लिकेशन के वैरिकोज वेन्स से पीड़ित 60 वर्षीय मरीज का सफलतापूर्वक इलाज किया।
वैरिकोज वेन्स बढ़ी हुई नसें होती हैं। कोई भी नसें वैरिकोज वेन्स हो सकती हैं, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित नसें पैरों और पैरों के पंजों में होती हैं। इसका कारण यह है कि खड़े होने और घूमने से आपके निचले शरीर की नसों में दबाव बढ़ जाता है। वैरिकोज वेन्स आमतौर पर त्वचा की सतह के नीचे उभरती हुई नीली नसों के रूप में दिखती हैं।
डॉ. अभिषेक व्यास, कंसल्टेंट, लेप्रोस्कोपिक जनरल एंड बेरिएट्रिक सर्जरी, पारस अस्पताल, उदयपुर, “60 वर्षीय महिला प्रभा शर्मा को दाहिने तरफ के पैर में दर्द, सूजन और खुजली की शिकायत थी। उनका कलर डॉपलर टेस्ट किया गया जिसमें सामने आया कि उन्हें वैरिकोज वेन्स की समस्या है। दरअसल, कलर डॉपलर टेस्ट से एक प्रकार की रंगीन इमेज प्राप्त होती है। ये रंग धमनियों, नसों और हृदय जैसे अंगों में रक्त के प्रवाह की गति और दिशा का पता लगाने में मदद करती हैं। कभी-कभी यह उम्र बढ़ने के कारण नसों में वाल्व टूट जाते हैं जो रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और यह समस्या हो जाती है। इस प्रक्रिया में यह दिख रहा था की मरीज के पैर के वाल्व की सबसे लंबी नस काम नहीं कर रही है और खून रिस रहा है और टखने में रक्त का जमाव इसी कारण हो रहा है, इसी कारण यह समस्या थी। इसमें पैर या नस की तरफ धीरे-धीरे अल्सर भी हो सकता है और कभी कभी यह खुद भी फट जाता है जिस कारण गंभीर रक्तस्राव शुरू हो सकता है।”
“हमने इसे ठीक करने के लिए कुछ नए तरीकों पर चर्चा की जिसमें से उनके परिजनों ने एक नवीनतम तकनीक को चुना, जिसमें हम इंजेक्शन के द्वारा लंबी नस में एक मेडिकल ग्लू लगाते हैं यह नस को ब्लॉक कर देता है और रक्त का बहना तुरंत बंद हो जाता है और इसमें कॉम्प्लिकेशन लगभग न के बराबर होती हैं। वैरिकोज वेन्स का इलाज लेज़र से भी किया जा सकता है लेकिन इसमें मरीज की रिकवरी का समय बहुत अधिक बढ़ जाता है। कभी-कभी त्वचा गंभीर रूप से जल जाती हैं क्योंकि लेज़र से तापमान 800 से 1600 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच सकता है, अतः लेज़र से इलाज करने पर रिकवर होने के लिए मरीज को समय लग जाता है जबकि वेनासील आपको वैरिकाज़ नसों से तेज़, प्रभावी राहत देता है। इस प्रक्रिया में बिना किसी चीरे और टाके के सर्जरी करते है और मरीज को बेहोश करने की जरूरत भी नहीं होती है एवं सर्जरी के तुरंत बाद छुट्टी भी दें सकते हैं। मरीज अगले दिन से अपने सभी दैनिक कार्य स्वयं कर सकते है।,” डॉ. अभिषेक व्यास ने बताया |
मरीज और उनके परिजनों ने डॉ. अभिषेक व्यास का आभार जताते हुए बताया कि अब वह पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हैं और उसके पैर में दर्द भी नहीं है अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।