कोटा. अंगदान एक तरह का जीवनदान होता है। इसको लेकर भारत में जागरूकता की कमी है। अगर अंगदान को लेकर जागरूकता फैल जाती है, तो दुनिया से जाता हर एक व्यक्ति अपने पीछे कई लोगों को जिंदगी देकर जा सकता है।
कोटा मेडिकल कॉलेज की ओर से अंगदान जागरूकता अभियान के तहत बुधवार को मोशन एजुकेशन के दक्ष-2 कैम्पस में मेडिकल प्रवेश परीक्षा-नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को जागरूक किया गया। व्याख्यान में मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी यूनिट के अधीक्षक और यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नीलेश जैन, नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ.विकास खंडेलिया और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. दिलीप माहेश्वरी ने संबोधित किया। संचालन मोशन एजुकेशन के ज्वाइंट डायरेक्टर और नीट डिवीजन के हेड अमित वर्मा ने किया।
डॉ. नीलेश जैन ने बताया कि देश में हर वर्ष 5 लाख व्यक्तियों की मौत आर्गन फैल्योर के कारण होती है, वहीं 1.5 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु दुर्घटनाओं में होती है जबकि सिर्फ 52000 ही अंग मौजूद है। यदि अंगदान होता है तो हजारों लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा विज्ञान में भारत का इतिहास बहुत पुराना है। अंगदान और अंग प्रत्यारोपण के उदाहरण के रूप में भगवान गणेश से शुरुआत मानी जा सकती है। सुश्रुत के रूप में भी भारतीय इतिहास सर्जरी में विशेषज्ञता को प्रदर्शित करता है। इतना समृद्ध इतिहास होने के बावजूद आज दुनिया में स्पेन में सर्वाधिक अंग दान होते हैं, वहीं भारत सबसे अंतिम देशों में शामिल है। हमें जागरूकता के माध्यम से लोगों के जीवन को बचाने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करना है।
डॉ. विकास खंडेलिया ने बताया कि आज विज्ञान इस हद तक विकसित हो चुका है कि जरूरत पड़ने पर एक व्यक्ति का एक अंग खराब होने पर उसे रिप्लेस किया जा सकता है, जिससे उसे जीवनदान मिल जाता है। दरअसल, आज के समय में जीवित और मृत दोनों व्यक्ति अंगदान कर सकते हैं। जरूरत के मुताबिक, जीवित व्यक्ति अपनी किडनी और लीवर का कुछ हिस्सा दान कर सकते हैं। वहीं हार्ट लिवर किडनी पैंक्रियाज और आंखों का कॉर्निया मरने के कुछ घंटे बाद तक जिंदा रहते हैं जिस दौरान इसे ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। डॉ.खंडेलिया ने कहा कि आप सभी स्टूडेंट्स समाज से जुड़े हुए हैं। अपने मित्रों, परिजनों को इस बारे में बताएं ताकि लोग रक्तदान की तरह ही अंगदान करके किसी का जीवन बचाने के लिए आगे आएं।
डॉ. दिलीप माहेश्वरी ने बताया कि ब्रेनडेड व्यक्ति के अंगदान किए जा सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले डोनर के कुछ मेडिकल टेस्ट कर कंपैटिबिलिटी चेक की जाती है। सभी टेस्ट के रिजल्ट अनुकूल आने के बाद डॉक्टर अपना प्रोसेस शुरू करते हैं और डोनर की बॉडी से वह हिस्सा रिमूव कर के रिसीवर में ट्रांसप्लांट किया जाता है। हालांकि, इस पहलू में डोनर के परिजनों की सहमति बहुत अहम होती है। अंगदान के बाद पूरे सम्मान से डोनर की बॉडी उसके परिजनों को वापस सौंप दी जाती है।
यहां कर सकते हैं ऑर्गन डोनेशन
कोई भी शख्स 'ऑर्गन डोनेशन कार्ड' भरकर अंगदान के लिए खुद को रजिस्टर कर सकता है। यह कार्ड अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा, सरकार द्वारा कई वेबसाइट बनाई गई हैं, जिसके जरिए आप ऑर्गन डोनेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की वेबसाइट notto.gov.in/ पर जाकर भी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा organindia.com और www.organindia.org/body-dona- tion/ के जरिए भी आप खुद को अंगदान के लिए रजिस्टर कर सकते हैं।