उदयपुर : आमतौर पर गर्भावस्था 40 सप्ताह की होती है, लेकिन हाल ही में उदयपुर के पारस हेल्थ में तय तारीख से पहले ही दो महिलाओं ने संवेदनशील स्थिती में बच्चों को जन्म दिया। जिसमें एक बच्चे का वजन मात्र 1 किलोग्राम था और दूसरी महिला द्वारा जन्में बच्चे का वजन 1.1 किलोग्राम था। बच्चों के जन्म की तय समय सीमा से पहले ही जन्म होने के कारण इन बच्चों को बचाना मुश्किल था। ऐसे में पारस हेल्थ, उदयपुर के विशेषज्ञ डॉ. राजकुमार बिश्नोई एवं डॉ. आशीष चंद्रकांत थिटे ने बड़ी ही सावधानीपूर्वक इनका इलाज कर नया जीवन दिया।
डॉ. आशीष चंद्रकांत थिटे, कंसल्टेंट, पेडियेट्रिक एवं नियोनेटल इंटेंसिविस्ट, पारस हेल्थ, उदयपुर ने बताया कि जन्म के समय बच्चे का वजन सिर्फ 1.1 किलोग्राम था जिसके कारण शिशु को अन्य समस्याएं भी थी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के 26 सप्ताह से कम उम्र के शिशुओं के लिए मां के गर्भ से बाहर जीवित रहना मुश्किल होता है। बच्चे की जान बचाने के लिए हमने उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा, उसके लंग्स भी ठीक से विकसित नहीं थे जिसके लिए हमने कुछ इंजेक्शन दिए. जिससे बच्चे के लंग्स मजबूत हो सकें। उन्होंने कहा कि बच्चे के मस्तिष्क में भी इन्फेक्शन हो गया था जिसका बहुत ही सावधानीपूर्वक इलाज किया गया और लगभग 45 दिनों तक चले इलाज के बाद बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ, अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है।
वहीं, डॉ. राजकुमार बिश्नोई कंसलटेंट न्योनेटोलॉजी, पारस हॉस्पिटल, उदयपुर ने बताया कि एक गर्भवती महिला की 26 सप्ताह में ही प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई, उस समय बच्चे का वजन मात्र एक किलोग्राम ही था, परंतु हमने लगातार उसका रूटीन चेकअप जारी रखा, जिसके बाद हमने देखा कि बच्चे का विकास धीरे-धीरे हो रहा है, उसका मस्तिष्क भी विकसित हो रहा था और पाचन क्रिया भी सामान्य थी, फिर धीरे-धीरे उसे दूध पिलाना शुरू किया गया, बच्चे का वजन भी बढ़ रहा था। जब बच्चा ठीक होने लगा तो हमने उसे नॉर्मल एयर रूम में रखा। वह अन्य बच्चों के समान ही विकास कर रहा था और उसका वजन लगभग 2 किलोग्राम हो चुका था, बच्चे के सामान्य स्थिति में आ जाने के बाद हमने उसे डिस्चार्ज किया।
अब दोनों बच्चे स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। नया जीवन मिलने के बाद उनके परिजनों ने डॉक्टरों का धन्यवाद किया।