उदयपुर, राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह के तहत १४ नवम्बर से २० नवम्बर २०२० तक महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह मनाया गया। भारतीय पुस्तकालय संघ ने १९६८ में इसे मनाने की घोषणा की थी। फाउण्डेशन ने इस अवसर पर सात दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये।
राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह के अवसर पर महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन के मुख्य प्रशानिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि रियासत काल में मेवाड के महाराणाओं की निजी लाइब्रेरियां होती थी। उन्हीं ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, कला आदि पर संग्रहित पुस्तकों का फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड ने ८ अप्रेल २००० में महाराणा मेवाड विशिष्ट पुस्तकालय की स्थापना कर शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं जिज्ञासु आदि के लिए सुप्रबन्ध करवाया। वर्तमान में महाराणा मेवाड स्पेशल लाइब्रेरी में पैंतीस हजार से अधिक बहुमूल्य पुस्तकें संग्रहित है।
मेवाड के महाराणा कुंभा (ई.स. १४३३-१४६८) ने कुंभलगढ में ’वाणी विलास नामक’ पुस्तकालय की स्थापना की थी, जिसमें संगीत, वास्तुकला, धर्म आदि विषयों पर पोथियां, पाण्डुलिपियां आदि संग्रहित थी। महाराणा कुंभा की तरह ही महाराणा राजसिंह (ई.स. १६५२-१६८०) और महाराणा सज्जनसिंह (ई.स. १८७४-१८८४) भी पुस्तकों- पाण्डुलिपियों के महान संग्रहकर्ता थे। महाराणा राजसिंह जी ने रामायण, महाभारत, पुराण आदि को अनुवादित करवाया। महाराणा सज्जन सिंह ने ११ फरवरी १८७५ ई. को सिटी पैलेस में ’सज्जन वाणी विलास‘ नामक संस्थागत पुस्तकालय की स्थापना की। महाराणा द्वारा पुस्तकालय के लिए सैकडों हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी और अंग्रेजी भाषाओं की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई।
महाराणा फतेहसिंह (ई.स. १८८५-१९३०) ने सज्जन निवास गार्डन (गुलाब बाग), उदयपुर में सरस्वती भंडार पुस्तकालय की स्थापना करवाई थी। जिसमें इतिहास व अन्य विषयों की ४२१० दुर्लभ पुस्तकें थी। इसके बाद महाराणा भूपालसिंह ने सिटी पैलेस के खुश महल में अपनी एक निजी लाइब्रेरी की स्थापना की। महाराणा भगवतसिंह मेवाड के पास भी पुस्तकों का निजी संग्रह था। बाद उन्होंने १९६७ में आमजन के लिए श्री मेवाड शिवशक्ति पीठ पुस्तकालय की स्थापना की। जिसमें चार हजार छः सौ इक्सठ पुस्तकें थी।
फाउण्डेशन के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध न्यासी अरविन्द सिंह मेवाड ने महाराणा मेवाड विशिष्ट पुस्तकालय की स्थापना कर अपने पुरखों की परम्परा को अनवरत रखते हुए ज्ञान के इस सागर को संजोये रखा। जहां वर्तमान में पैंतीस हजार चार सौ से अधिक पुस्तकें संग्रहित हैं, जिनमें देश-दुनियां का इतिहास, भूगोल के साथ ही मेवाड राजवंश का इतिहास तथा कला व वास्तुकला आदि पुस्तकें संग्रहित है। ये सभी पुस्तकें लाइब्रेरी के साफ्टवेयर में सूची बद्ध है तथा इनका डिजिटल केटलॉग इटर्नल मेवाड की वेबसाइड पर उपलब्ध है।