उदयपुर। राष्ट्र-संत श्री चन्द्रप्रभ जी ने कहा कि संवत्सरी पर्व बीते वर्ष में हुई भूलों के लिए क्षमा करने का एवं क्षमा माँगने का पर्व है। क्षमा का अर्थ है, जो बीत गया उसे जाने दो, उसे पकड़कर मत बैठो। खुद के दिल को ठेस लगी, फिर भी क्षमा कर दिया तो समझो आपने संवत्सरी पर्व के सही अर्थ को जी लिया। छप्पन इंच का सीना उसका नहीं होता, जो रोज दण्ड-बैठक लगाता है, बल्कि उसका होता है, जो दूसरों की गलतियों को माफ करने का बड़प्पन दिखाता है। दूसरों को हम जितना जल्दी क्षमा करेंगे, ऊपरवाला हमारी भूलों को भी उतनी ही जल्द क्षमा कर देंगे।
मंगलवार को सूरज पोल, मेवाड़ मोटर्स गली स्थित श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान मंदिर एवं दादावाड़ी के विशाल सभागार में पर्युषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व का रहस्य विषय पर संतश्री ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष बीत जाने पर हम कैलेण्डर उतार देते हैं, फिर हम वर्ष बीत जाने पर किसी की कही बात को अपने दिल से क्यों नहीं उतार फेंकते। हम खुद की तो हजार गलतियाँ माफ कर देते हैं, फिर किसी दूसरे की दो चार गलतियों के कारण जीवनभर के लिए नफरत क्यों पालें। जैसे ब्लेक बोर्ड को टीचर हर रोज साफ कर देता है, वैसे ही हमें भी हर रात को सोने से पहले अपने भीतर के बोर्ड को साफ कर देना चाहिए।
संतप्रवर ने कहा कि तिरूपति, पालीताणा और वैष्णो देवी की हजारों सीढ़ियाँ चढ़कर तीर्थयात्रा बाद में कीजिए, पहले जिसके साथ बोलचाल बन्द है, उसके घर की पाँच सीढ़ियाँ चढ़कर उससे क्षमा माँग लीजिए, उसे गले लगा लीजिए, आपको घर बैठे ही तीर्थयात्रा करने का सही फल प्राप्त हो जाएगा। जन्मपत्री में शनि और रिश्तों में दुश्मनी कभी भी काम की नहीं होती। माना कि जिसे अभी आप बेकार समझते हैं, मुसीबत की आग लग जाने पर वहीं उसे बुझाने के काम आ जाए। इसलिए किसी के साथ भी वैर-विरोध मत रखिए। सबके साथ मंगलमैत्री का भाव रखना ही पर्युषण और संवत्सरी पर्व का मूलभूत संदेश है।
इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने कल्पसूत्र के हिन्दी अनुवाद का संपूर्ण वाचन किया। गुरूजनों को कल्पसूत्र समर्पित करने का सौभाग्य चातुर्मास के लाभार्थी एवं तपस्वियों को मिला। समारोह में 30 उपवास की तपस्या करने वाले तपस्वी आनंद चौरड़िया और धनवंती कंठालिया का लोककल्याणकारी चातुर्मास समिति और वासूपूज्य महाराज मंदिर ट्रस्ट मंडल द्वारा अभिनंदन पत्र देकर सम्मान किया गया। इस दौरान 11 उपवास के तपस्वी अक्षसिंह चौधरी, 9 उपवास के तपस्वी यशस्वी चावत और 8 उपवास करने वाले तपस्वी अनीता सिरोया, डॉ मंजू चौधरी, हिम्मतसिंह चौधरी, गजेन्द्र सिंह चौधरी, डॉ निर्मला पालीवाल, पंकज कंठालिया, भगवतसिंह मेहता का सम्मान किया गया।
अध्यक्ष राज लोढ़ा ने बताया कि सूरजपोल दादावाड़ी में बुधवार को सुबह 8 बजे सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा होगा। एवं 9.15 बजे प्रवचन-सत्संग का आयोजन होगा।