उदयपुर। श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय महासाध्वी डॉ संयमलता, साध्वी डॉ श्री अमितप्रज्ञा, साध्वी श्री कमलप्रज्ञा, साध्वी श्री सौरभश्रज्ञा आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में धर्मसभा को संबोधित करते हुये महासती संयमलता ने कहा- मानव चार प्रकार के होते है-अंधविश्वासी, अतिविश्वासी, अविश्वासी और विश्वासी। प्रथम तीन मानव धरती पर भार है और अंतिम मानव कुदरत का विशिष्ट उपहार है। विश्वास श्वास की तरह जरूरी है।
उन्होंने कहा कि वहम का कोई इलाज नहीं है, इस लाईलाज रोग से हर मानव अस्त है। संसार में वहमी व्यक्ति से अधिक दुर्बल कोई नहीं है। आत्मविश्वास व्यक्ति को सहने की शक्ति देता है और तन मन को निरोग रखता है। हमे निरोग रहना है तो विश्वास का चिराग जलाये रखना। साध्वी अमितप्रज्ञा ने कहा- शान्ति मिलती है अच्छे स्वभाव से । पाप से निवृत्ति लेकर धर्म में प्रवृत्ति नही करोगे तो शान्ति नही मिल सकती है। हमे अभाव या प्रभाव में नहीं स्वभाव के साथ जीना चाहिये। महासाध्वी डॉ श्री संयमलता, साध्वी डॉ श्री अमितप्रज्ञा, साध्वी श्री कमलप्रज्ञा, साध्वीश्री सौरभप्रज्ञा आदि ठाणा 4 के सानिध्य में गुरूवार को चातुर्मास स्थल पर 21 वें कलयुग के कल्पवृक्ष भक्तामर के 21 वें स्त्रात का महामंगकारी अनष्ठान का प्रातः 9 से 10 बजे तक आयोजन किया जायेगा।
चातुर्मास संयोजक ललित लोढ़़ा ने बताया कि इस स्त्रोत के लाभार्थी भिवंडी मुबंई निवासी कमलेश, नयन सम्यक,बार्दिया परिवार होंगे। इस आयोजन मंे भाग लेने वाले श्रावक-श्राविकाओं के लिये काले वस्त्र और चमडे़ की वस्तु का निषेध रहेगा। पुरूष धवल वस्त्र में तो महिलायें रानी पिंक परिधान पहन शामिल होगी।