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सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने लोकसभा में उठाया मामला

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25 Jul 24
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सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने लोकसभा में उठाया मामला


- कहा पिछले छह सालों से टीएसपी क्षेत्र में भ्रम फैलाया जा रहा कि “यहां के आदिवासियों  पर आईपीसी लागू नहीं होती।“
- इसके बाद युवाओं को भड़का कर कांकरी डूंगरी कांड कराया गया, जिसमें दो आदिवासी किशोर व युवा की गोलीकांड में मौत हो गई।
- इस भ्रम की वजह से पूरे क्षेत्र में पत्थरबाज पैदा हो रहे, कानून व्यवस्था पूरी तरह भंग हो रही। शाम सात बजे बाद चलना मुश्किल हो गया है।
-“आदिवासी हिंदू नहीं “ऐसा भ्रम फ़ैला कर संस्कृति पर आक्रमण किया जा रहा।
- यह “द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट एक्ट “ जो कि संसद का 1955 में बना कानून है। उसकी धारा 3 के विरूद्ध।
- यहां जो भी उत्पात हो रहा, उसकी एनआईए व अन्य जिम्मेदार एजेंसियों से जांच की मांग की
उदयपुर, सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने बुधवार को लोकसभा में टीएसपी क्षेत्र में आदिवासियों के खिलाफ पिछले कुछ सालों से चलाए जा रहे मामले को उठाते हुए सदन के माध्यम से पूरे मामले की जांच एनआईए सहित अन्य जिम्मेदार एजेंसियों से कराने कि मांग की।
सांसद रावत ने सदन को संबोधित करते हुए सभापति से कहा कि वे एक  महत्वपूर्ण विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। कांकरी डूंगरी प्रकरण का जिक्र करते हुए सांसद डॉ मन्ना लाल रावत ने कहा कि वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक की अवधि में इस टीएसपी क्षेत्र में भ्रम फैलाया गया कि आदिवासियों पर आईपीसी लागू नहीं होती।
 उसके उपरांत युवाओं को भड़का कर कांकरी डूंगरी कांड कराया गया। जिसमें दो आदिवासी किशोर व युवा गोलीकांड के शिकार हुए।
इसके अलावा क्षेत्र में संस्कृति पर आक्रमण करते हुए हुए “द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट एक्ट “ जो कि संसद का 1955 में बना कानून है। उसकी धारा 3 के विरूद्ध “आदिवासी हिंदू नहीं है“ ऐसा भ्रम फैलाया गया।
सांसद डॉ रावत ने कहा कि आदिवासियों पर आईपीसी लागू नहीं होती, इस भ्रम की वजह से पूरे क्षेत्र में पत्थरबाज पैदा हो रहे हैं। कानून - व्यवस्था पूरी तरह भंग हो रही है। सांसद रावत ने बावलवाड़ा घाटी का जिक्र करते हुए कहा कि उस क्षेत्र में अनेकों स्थानों पर पत्थरबाजी की ऐसी घटनाएं हो रही है, जिसके कारण सात बजे बाद चलना मुश्किल हो गया है। वहां जो भी उत्पात हो रहा है। बाहरी तत्व आ रहे हैं। उनकी एनआईए सहित अन्य जिम्मेदार एजेंसियों से जांच होनी चाहिए।


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