पटना । बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से केंद्रीय योजनाओं की संख्या कम करने का आग्रह करेगी, ताकि ऐसी परियोजनाओं के कार्यांन्वयन के लिए राज्यों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम किया जा सके।
चौधरी ने यहां में पीटीआईं- भाषा के साथ बातचीत में केंद्रराज् य राजकोषीय संबंधों के पुनर्गठन और राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता देने की आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) की संख्या में वृद्धि ने बिहार जैसे गरीब राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला है।चौधरी ने कहा, सीएसएस राज्यों को अपने खर्च को प्राथमिकता देने के लिए विवश करता है और गरीब राज्यों को नुकसान में डालता है। यह देखा गया है कि केंद्र द्वारा कईं योजनाओं पर बड़ी राशि खर्च करने के चलते केंद्र सरकार के आवंटन में कमी आती है। इसलिए हमने केंद्र से आग्रह किया है कि वह राज्यों में सीएसएस की संख्या कम करें।
उन्होंने कहा, यह निश्चित रूप से बिहार जैसे राज्यों को चुनिंदा योजनाओं के कार्यांन्वयन में अधिक लचीलापन सुनिश्चित करने और वितरण में सुधार करने के लिए सशक्त करेगा। हम जल्द ही इस संबंध में केंद्र को लिखेंगे और मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने का समय भी मांगेंगे।
चौधरी ने कहा कि बिहार की आर्थिक विकास दर 10.98 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत सात प्रतिशत से बेहतर है।उन्होंने कहा, बिहार सरकार ने 2021-22 के दौरान 9.84 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। हालांकि, राज्य की अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि 15.04 प्रतिशत रही, जो पिछले दशक में सबसे अधिक थी। इसके बावजूद बिहार देश के सबसे गरीब राज्यों में से एक है, और केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता का हकदार है। केंद्र पर सीएसएस के लिए पर्यांप्त धन जारी नहीं करने का आरोप लगाते हुए बिहार के वित्त मंत्री ने कहा, भाजपा शासित केंद्र सरकार कईं केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर राजनीति करती है, खासकर बिहार में। इसने सामाजिक, शिक्षा और बुनियादी ढांचा क्षेत्र जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए अपना हिस्सा जारी करना बंद कर दिया है।
अधिकांश सीएसएस में राज्य सरकारें अब अपने खजाने से केंद्र के हिस्से का भुगतान कर रही हैं।
वहीं केंद्रीय करों में भी बिहार को उसका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, मैं यह स्पष्ट कर दूं कि केंद्र के असहयोगात्मक रवैये के कारण बिहार की वित्तीय स्थिति कठिन दौर से गुजर रही है.।