स्व.ओंकारलाल शास्त्री की स्मृति में बाल अकादमी ने शुरू किया पुरस्कार  

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Published on : 30 Mar, 23 14:03

सलूंबर के स्वतंत्रता सेनानी स्व.ओंकारलाल शास्त्री की स्मृति में बाल अकादमी ने शुरू किया पुरस्कार  

स्व.ओंकारलाल शास्त्री की स्मृति में बाल अकादमी ने शुरू किया पुरस्कार  

 सलूंबर के स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय ओंकार लाल शास्त्री के भारत की आजादी में योगदान का सम्मान करते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी द्वारा उनकी स्मृति में पुरस्कार देने का निर्णय किया गया है। इसके तहत जयपुर में आयोजित जवाहर बाल साहित्य महोत्सव के दौरान रघुराज सिंह कर्मयोगी को स्वतंत्रता सेनानी ओंकार लाल शास्त्री पुरस्कार से नवाजा गया। जयपुर के जवाहर कला केंद्र स्थित रंगायन सभागार में आयोजित कोटा से रेलवे इंजीनियर रघुराज सिंह को स्वतंत्रता सेनानी ओंकार लाल शास्त्री पुरस्कार के रुप में शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं 11 हजार रुपये नकद राशि देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान ‘दादी घर चलो‘ बाल कहानी संग्रह पर दिया गया। यह कोटा के लिए गौरव की बात है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष रमेश बोराणा ने कहा कि बाल रचनाकार ही बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उन्ीें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते है। कार्यक्रम में जनसत्ता समाचार पत्र के मुख्य  संपादक मुकेश भारद्वाज, बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी, मुंबई से पधारे रमेश तैलंग, राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दूलाराम सहारण, मुख्यमंत्री के ओएसडी फारुख अफरीदी, कोटा से बाल साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि भगवती प्रसाद गौतम, सलूंबर से श्रीमती विमला भंडारी भी विशिष्ट अतिथि रहे। इस अवसर पर कुल 11 बाल साहित्यकारों को 11000 रुपये, स्मृति चिन्ह तथा साल श्रीफल से सम्मानित किया। साठ बाल रचनाकारों की पांडुलिपियां लेकर संस्था ने उन्हें अपने खर्चे पर प्रकाशित कराया है। इसके बाद इन रचनाकारों को अकादमी ने सम्मानित भी किया।
सलूंबर की साहित्यकार विमला भंडारी ने कहा है कि बाल साहित्य अकादमी द्वारा किया गया यह बहुत बड़ा कार्य है। इसकी पूरे प्रदेश में प्रशंसा हो रही है। ऐसा अद्भुत कार्य अन्य किसी साहित्य अकादमी द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। बाल साहित्य मनीषी के रूप में पांच रचनाकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव श्री राजेंद्र मोहन शर्मा ने किया बीच-बीच में दृष्टिहीन बच्चों ने देशभक्ति के गीत सुनाकर श्रोताओं एवं रचनाकारों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


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