उदयपुर स्थापना दिवस पर इतिहासवेक्ता डॉ.भटनागर का स्मरण भी जरूरी:डॉ.मेनारिया

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Published on : 02 Apr, 23 09:04

(उदयपुर का 456 वे स्थापना दिवस पर इतिहास संगोष्ठी)

उदयपुर स्थापना दिवस पर इतिहासवेक्ता डॉ.भटनागर का स्मरण भी जरूरी:डॉ.मेनारिया

।मेवाड़ के प्राचीन लेखक रणछोड़ भट्ट द्वारा रचित संस्कृत ग्रंथ अमरकाव्यम एवं अंबेरी और बेदला गांव के शिलालेख के अनुसार महाराणा उदय सिंह ने चित्र शुक्ला एकादशी विक्रम संवत 1624 को उदयपुर नगर की स्थापना अपने नाम से की यह इतिहास में सर्वविदित है,उदयपुर स्थापना तिथि को ऐतिहासिक ग्रंथों व पुरा लेखों के माध्यम से सर्वप्रथम प्रकाश में लाकर "उदयपुर की स्थापना एवं मोती मगरी का इतिहास" पुस्तक की रचना करने वाले इतिहासविद् एवं आयुर्वेद मनीषी डॉ.राजेंद्र प्रकाश भटनागर का उदयपुर स्थापना दिवस पर स्मरण करना करना यहां के विद्वानों व इतिहासकारों के लिए जरूरी है। उक्त विचार ग्लोबल हिस्ट्री फॉर्म के अध्यक्ष वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. जी.एल.मेनारिया ने उदयपुर के प्रामाणिक 456 वे स्थापना दिवस के अवसर पर ग्लोबल हिस्ट्री फोर्म एवं मेवाड़ इतिहास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यहां सेक्टर 5 स्थित सभागार में उदयपुर"स्थापना का ऐतिहासिक आधार"विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
मुख्यवक्ता मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रो. गिरीश नाथ माथुर ने उदयपुर स्थापना से जुड़े तथ्यों व परमाणो को बताते हुए उदयपुर में पर्यटन विकास की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
हिस्ट्री फॉर्म के महासचिव डॉ. अजातशत्रु सिंह शिवरती ने "उदयपुर तब व अब"की ऐतिहासिक जानकारियो पर प्रकाश डाला।
परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने "महाराणा उदयसिंह कालीन मेवाड़ एवं उदयपुर स्थापना" विषयक शोध पत्र का वाचन किया।
राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा, अध्यक्ष डॉ. धर्मसिंह बेरवा, तक्षशिला विद्यापीठ की प्राचार्य डॉ.मीनाक्षी मेनारिया,डॉ. नीतू मेनारिया,डॉ. कैलाश जोशी,शोधार्थी राम सिंह राठौड़, अनुराधा माथुर ने भी महाराणा उदय सिंह कालीन उदयपुर के ऐतिहासिक स्थलों एवं धरोहरो के महत्व को बताया। संगोष्ठी का संयोजन शिरीष नाथ  माथुर ने किया।


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