गुलियन बेरी सिंड्रोम से पीड़ित 5 वर्षीय बच्चे को पारस हेल्थ, उदयपुर में मिला नया जीवन

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Published on : 07 Jun, 23 14:06

भेंगापन और शरीर में कमजोरी की शिकायत के बाद भर्ती हुए बच्चे को ठीक किया गया।

गुलियन बेरी सिंड्रोम से पीड़ित 5 वर्षीय बच्चे को पारस हेल्थ, उदयपुर में मिला नया जीवन

  गुलियन बेरी सिंड्रोम बीमारी होने पर शरीर कमजोर हो जाता है और कई बार शरीर लगभग लकवा ग्रस्त भी हो सकता है।

उदयपुर- डायरिया और बुखार के बाद पैदा हुई चलने में परेशानी एवं भेंगापन की समस्या के साथ पारस हेल्थ, उदयपुर में भर्ती हुए 5 वर्षीय बच्चे को डॉक्टरों की सूझबूझ व सफल इलाज के माध्यम से नया जीवन मिला। गुलियन बेरी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ तंत्रिकाओं पर हानिकारक प्रभाव डालने लगती है और इससे शरीर में कमजोरी, हाथों व पैरों में झुनझुनी होने लगती है। समय के साथ गुलियन बेरी सिंड्रोम के विकार पूरे शरीर में फ़ैल जाते हैं। इस बीमारी से श्वसन और सांस संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। इसके बाद पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है। 5 वर्षीय बच्चा भी गुलियन बैरियर सिंड्रोम के मिलर फिशर वैरीअंट से ग्रसित था जिसे कमजोरी सहित भेंगापन की शिकायत थी।

डॉ. मनीष कुलश्रेष्ठ, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी, पारस हेल्थ, उदयपुर ने बताया, “5 वर्षीय बच्चे को हमारे अस्पताल में डायरिया और फीवर की समस्या के साथ भर्ती कराया गया था। हालांकि यह समस्या होने पर नजदीकी डॉक्टर द्वारा उसका इलाज किया गया, जिससे वह ठीक भी हो गया था परंतु फिर 2 से 3 दिन बाद उसके पैरों में धीरे-धीरे कमजोरी महसूस होने लगी और उसे डबल भी दिखाई देने लगा, वह कुछ भी देखता तो उसे एक की जगह दो-दो दिखाई पड़ता, उसके सिर में भी दर्द था जिस कारण शुरुआत में डॉक्टर्स ब्रेन का फीवर समझकर उसका इलाज कर रहे थे।" उन्होंने बताया, "जब उस बच्चे को हमारे अस्पताल में भर्ती किया गया उसके बाद उसका एमआरआई और रूटीन ब्लड टेस्ट किया गया जो कि नॉर्मल था। इसके बाद मैंने देखा कि बच्चे की आवाज धीमी हो गई थी और उसे खाना निगलने में भी दिक्कत हो रही थी। इसके अलावा उसकी आंखों में भी भेंगापन था, जिसकी वजह से उसे डबल दिखाई दे रहा था। फिर हमने बच्चे की सघनता से जांच की और पाया कि उसे जीबीएस ( गुलियन बेरी सिंड्रोम ) नामक बीमारी हो सकती है। इसके लिए आईवीआइजी नामक दवा दी जाती है, पहले दिन जब हमने दवा दी तो बच्चे की थोड़ी तबीयत बिगड़ी, परंतु अगले दिन उसमें सुधार होने लगा और दवा का असर दिखने लगा। फिर हमने 5 दिन तक इसी कोर्स को जारी रखा और जब बच्चे में सुधार हुआ।हमने उसे 10 से 12 दिन अस्पताल में भर्ती रखा और उसका इलाज जारी रहा। धीरे-धीरे बच्चे में सुधार हुआ लगभग डेढ़ से 2 महीने बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रहा है।"

बच्चे को नया जीवन मिलने के बाद उसके परिजनों ने डॉक्टरों का धन्यवाद किया और कहा, "पारस हेल्थ, उदयपुर के डॉक्टर्स और स्टाफ ने बहुत सहयोग किया तभी जाकर हमारे बच्चे को नया जीवन मिल सका है। पारस हेल्थ के विशेषज्ञों के कौशल ने बहुत ही सावधानी से हमारे बच्चे को नया जीवनदान दिया है।"


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