बांसवाड़ा, देश में इंसान के कल्याण और सुख के लिए लोगों के त्याग और बलिदान के अनेक किस्से कहानियां सुनने को मिल जाती हैं. समाज और लोगों के जीवन की रक्षा के लिए अपने अंगदान की महर्षि दधीचि से जुड़ी पौराणिक कथा भी बहुत से लोगों ने सुनी होगी. आज के समय में भी बहुत से लोग अपने अंगों का दान कर लोगों की जिंदगियां बचा रहे हैं. ऐसी ही एक व्यक्तित्व बांसवाड़ा में भी देखने मिला जो चाहती है कि इस जीवन की समाप्ति के बाद भी वह लोगो मे जिंदा रहे। वह है बांसवाड़ा की पुष्पानगर निवासी पूनम कौशिक।
कुछ दिन पूर्व जब यह स्वास्थ्य कारणों से जनता क्लीनिक मधुबन कॉलोनी में गई तब उन्होंने प्रभारी चिकित्सक जो की इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी बांसवाड़ा के चेयरमैन भी है से कहा की मैने आपकी “अंगदानदृजीवन“ मुहिम के बारे में सुना है जिस पर डॉक्टर मुनव्वर ने अंगदान से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में जानकारी दी।
उनके इस जज्बे को देखते हुए इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी बांसवाड़ा द्वारा एक छोटे समारोह का आयोजन कर उनके देहदान का संकल्पदृपत्र एवं आवश्यक दस्तावेज पूर्ण किए। इससे पूर्व उनका स्वास्थ परिक्षण किया गया।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन डॉक्टर मुनव्वर हुसैन ने कहा की वैसे तो मृत्यु जीवन अटल सत्य है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि एक व्यक्ति अपने शरीर के अंगों को दान करके करीब 37 लोगों को जीवन दे सकता है.
संस्था के सचिव डॉक्टर आर. मालोत ने कहा कि देहदान से न केवल मेडिकल स्टूडेंट को रिसर्च में मदद मिलती है बल्कि शरीर के कुछ अंगों का दान किया जा सकता है. जिसमें यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, हृदय,फेफड़े और आंत जैसे अंगों का दान किया जाता है.
कॉर्निया (आंख का भाग), हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस, कण्डरा और कुछ अन्य ऊतकों को भी दान किया जाता है.
उन्होंने बताया कि अंगदान दो तरह से होता है. पहला होता है जीवित अंगदान और दूसरा मृत्यु के बाद अंगदान. अंगदान के लिए बाकायदा वसीयत लिखी जाती है कि मृत्यु के बाद उनके शरीर का कौन-कौन सा हिस्सा दान किया जायेगा. जीवित अंगदान में इंसान जीते जी शरीर के कुछ अंगों को दान कर देते हैं. जिसमें एक गुर्दा दान में दिया जा सकता है. इसके अलावा अग्न्याशय का हिस्सा और लीवर का हिस्सा दान किया जाता है.
संस्था कोषाध्यक्ष शैलेंद्र सराफ ने अंगदान और देहदान के बारे में बताया कि सिर्फ उम्र ही नहीं, बल्कि शरीर का स्वस्थ होना भी जरूरी है। 18 साल का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान कर सकता है, लेकिन शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए उम्र सीमा भी अलग-अलग होती है, जो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दान किए जा सकते हैं.
स्वास्थ्य परीक्षण में सहयोग देने वाली वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी शर्ली जॉय ने कहा कि पूनम कौशिक की यह पुनीत पहल मानव जगत एवं चिकित्सा जगत के हित की दृष्टि से सर्वोत्तम दान है। इसके फल स्वरूप चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मानव देह को जानने व गहन अध्ययन करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी
जिसमें एक फॉर्म भरा जाता है, जिसकी एक प्रति मेडिकल कॉलेज तो दूसरी प्रति उनके बताए रिश्तेदार के पास होती है। देहावसान के बाद रिश्तेदार कॉलेज प्रबंधन को सूचित करेंगे और देहदान की कार्यवाही पूर्ण की जाती है।
मेडिकल विद्यार्थियों को मिलेगा सीखने का अवसर :
देहदान करने वाली पूनम कौशिक ने कहा कि “हम चाहते हैं कि हमें देखकर लोग भी आगे आएं क्योंकि अस्पतालों में बहुत से मेडिकल बच्चों को सीखने के लिए शरीर की जरूरत होती है.यदि उन्हें मेरे शरीर से कुछ फायदा हो जाए. इसलिए मैने भी देहदान का निर्णय लिया है और मेरे इस निर्णय में पति आनंद का भी बड़ा योगदान हैं।
उल्लेखनीय है कि पूनम स्वयं चिकित्सा विभाग में कार्यरत है।
इस अवसर पर संस्था के प्रेरणा उपाध्याय भरत कंसारा, निलेश सेठ, हरेश लखानी, राहुल सराफ,मुफद्दल हुसैन उपस्थित रहे। रुचिता चौधरी ने सहयोग दिया