उदयपुर - 20 वर्षीय चंचल कंवर को कुछ सालों से कमर दर्द था और पैरों में झनझनाहट थी। कई जगह दिखाने के बाद भी कोई आराम नहीं मिल रहा था, तब मरीज के परिजन उसे पारस हेल्थ उदयपुर लेकर आए। यहां डॉ. अजीत सिंह, सीनियर न्यूरोसर्जन, से परामर्श लिया और डॉ. अजीत सिंह ने एमआरआई की सलाह दी, जिसमें एक दुर्लभ बीमारी स्प्लिट कॉर्ड मलफोर्मेशन का पता चला। यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है जो की 5500 में से 1 बच्चे में ही पाई जाती है। 20 साल तक की उम्र में यह और भी दुर्लभ हो जाता है। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न मिले तो पाँव में लकवा भी हो सकता है, इसके साथ शौच व पेशाब भी बंद हो सकता है।
डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि इस बीमारी में जन्म से स्पाइनल कॉर्ड के बीच में हड्डी बनी हुई थी जिससे स्पाइनल कॉर्ड दो भागों में विभाजित हो रही थी। साथ ही वह नीचे की हड्डियों से भी चिपकी हुई थी। सभी जटिलताएं मरीज के परिजनों को समझाने के बाद मरीज को सर्जरी की सलाह दी गई। छह घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी में स्पाइनल कॉर्ड को एक किया गया और बीच की हड्डी को काट कर अलग किया गया और चिपकी हुई नस को भी अलग किया। उन्होंने कहा कि यह पूरी सर्जरी को माइक्रोस्कोप और न्यूरो मॉनिटरिंग की सहायता से किया गया। मरीज को अगले ही दिन दर्द में आराम मिल गया और उसने चलना शुरू कर दिया। इस तरह की सर्जरी बहुत ही जटिलता भरी होती हैं और इसमें लकवे की संभावना भी होती है। इस तरह की सर्जरी अभी तक सिर्फ मेट्रो सिटीज़ में होती थी, लेकिन अब एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम पारस हेल्थ, उदयपुर में भी इस तरह की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक करने में सक्षम है। राहत मिलने के बाद मरीज चंचल कंवर और उसके परिजनों ने डॉ. अजीत सिंह और अस्पताल का धन्यवाद करते हुए बताया कि मुझे अब नया जीवन मिला है जिसकी आश मैंने और मेरे माता-पिता ने छोड़ दी थी, मैं डॉ अजीत सिंह सहित अस्पताल का बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं।