कोटा - राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय में भारतीय भाषा उत्सव के रूप में "बहुखण्डीय ग्रंथों की पुस्तकों की प्रदर्शनी" का आयोजन किया गया। इस उत्सव का उद्घाटन राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला, राजस्थान, जयपुर के सेवानिवृत निदेशक विनोद जैन ने किया।
उत्सव के दौरान एक समारोह में, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से किताबों का महत्त्व बढ़ाया गया। वहाँ पहुंचे लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये और किताबों के महत्त्व पर विचार किया।
विनोद जैन ने कहा, "किताबें हमारी आसपास की दुनिया को समझने, सही और गलत के बीच निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं। वे हमारे आदर्श, मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं।"
साथ ही, संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "मानव के व्यक्तित्व के विकास के लिए अध्ययन से श्रेष्ठ विकल्प कोई नहीं है। इसलिए किताबें मानव की सबसे अच्छी दोस्त हैं जो सदैव मैं सिर्फ परत दर परत जीवन के उतार-चढ़ाव से इसे परिचित कराती हैं बल्कि हर मुश्किल वक्त में एक दोस्त की भाँति मनुष्य का साथ देती हैं।"
कार्यक्रम की संयोजिका शशि जैन ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी को भी विद्युत शक्ति के उपयोग की आवश्यकता होती है लेकिन किताबों के साथ ऐसा नहीं है। किताबों को सिर्फ खोलने और पढ़ने की आवश्यकता होती है।" यह प्रदर्शनी और बातचीत का कार्यक्रम पुस्तकों के महत्त्व और उनके समाजिक, मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को साझा करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम साबित हुआ।