लोकसभा उपाध्यक्ष चुनाव: एनडीए-विपक्ष संघर्ष

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Published on : 01 Jul, 24 01:07

लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर बीजेपी-नीत एनडीए सरकार और विपक्ष के बीच असहमति और तनाव जारी है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या कोई सर्वसम्मति का फ़ॉर्मूला सामने आएगा या नहीं।

लोकसभा उपाध्यक्ष चुनाव: एनडीए-विपक्ष संघर्ष

लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर बीजेपी-नीत एनडीए सरकार और विपक्ष के बीच असहमति और तनाव जारी है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या कोई सर्वसम्मति का फ़ॉर्मूला सामने आएगा या नहीं।

पिछले गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली में हुई मूसलाधार वर्षा के बाद, शनिवार को टी-20 विश्वकप में भारत की ऐतिहासिक विजय का जश्न मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीम को बधाई दी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी लोगों से बधाई लेते नजर आए। रविवार को, प्रधानमंत्री मोदी का 'मन की बात' कार्यक्रम आचार संहिता के बाद फिर से शुरू हुआ।

सोमवार को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र और राज्यसभा की बैठकों का पुनः आरंभ हुआ। लोकसभा की शुरुआत असहमति और मतभेद के साथ हुई। एनडीए ने ओम बिरला को स्पीकर के रूप में समर्थन देने के लिए विपक्ष से अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष ने कांग्रेस के सांसद के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए आगे किया। अंततः, ओम बिरला ध्वनि मत से स्पीकर चुने गए।

विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर का पद मांगते हुए बिरला के खिलाफ अपने उम्मीदवार को खड़ा किया। सदन में विवाद और दल-बदल विरोधी कानूनों के तहत स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अब सबकी निगाहें लोकसभा उपाध्यक्ष के चुनाव पर हैं। कांग्रेस डिप्टी स्पीकर पद की मांग कर रही है, जबकि भाजपा के सहयोगी दल इस पर दावेदारी जता रहे हैं। 

17वीं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा, जो कि एक अप्रत्याशित घटना थी। संविधान के अनुसार, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव अनिवार्य है। स्पीकर की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी एनडीए विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं देने पर अड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी का सर्वसम्मति और संसदीय बहस की अपील लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह तभी संभव है जब व्यावहारिकता में बदल जाए। 

राजनाथ सिंह ने विपक्षी नेताओं से बातचीत की, जो केंद्र सरकार के अहम फैसलों पर विपक्ष से राय मश्वरा करने का संकेत है। 

इस सत्र में पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और असहमति की संभावना है, क्योंकि भाजपा गठबंधन सरकार बनाने के लिए मजबूर हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या एनडीए और विपक्ष के बीच कोई समझौता होता है या नहीं।


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