अधिग्रहित मिर्गी से परेशान नहीं हों यूनानी चिकित्सा से ईलाज संभव

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Published on : 05 Jul, 24 05:07

अधिग्रहित मिर्गी से परेशान नहीं हों यूनानी चिकित्सा से ईलाज संभव : डॉ. लियाकत अली मंसूरी 

अधिग्रहित मिर्गी से परेशान नहीं हों यूनानी चिकित्सा से ईलाज संभव

          
            मिर्गी रोग  केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी वाले भाग में टेपवर्म टीनियासिस सोलियम के परजीवी संक्रमण के कारण होता है। ये परजीवी आंतों में संक्रमण करते हैं ये मनुष्य में तीन तरह के परजीवी होते है__ टीनिया सोलियम, टीनिया सैगिनाटा और टीनिया एशियाटिका  । इनमें से केवल मनुष्य में टीनिया सोलियम ही बड़ी आंतों में संक्रमण करता है। इसे पोर्क टेपवर्म भी कहते हैं । यह उभयलिंगी होते हैं,वयस्क कृमि का शरीर चपटा, रिबन जैसा सफ़ेद 2 से 3 मीटर से भी अधिक लम्बे होते हैं । इसके मुंह के आगे कांटे नुमा चूसक स्कॉलेक्स होते हैं जिनसे ये बड़ी आंतों से खून चूसते हैं । जब ये केंदीय तंत्रिका तंत्र में प्रवेश करते हैं तो न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे मिर्गी का आना शुरू होता हैं। मानव में संक्रमण के दो रूप होते हैं __
1. प्राथमिक होस्टिंग जिसे टेनिओसिस कहते हैं यह टेपवर्म अधपके सुअर के मांस में सिस्ट होने के कारण मानव की बड़ी आंतों में चले जाते हैं यहां इसका ईलाज बहुत आसानी से हो जाता हैं । इनकी जांच मल में अंडों को माइक्रोस्कोप द्वारा देख कर निदान किया जाता हैं ।
2. द्वितीयक होस्टिंग इसे सिस्टिसर्कोसिस कहते हैं जो वयस्क कृमियों से संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित भोजन खाने या पानी पीने के कारण होता हैं। यानि सिस्ट के बजाय टेपवर्म के अंडे मनुष्य द्वारा निगल लिए जाते हैं । अंडे मुख्य रूप से बिना लक्षणों के मांसपेशियों में सिस्ट विकसित करते हैं यही अंडे खून के साथ मस्तिष्क में चले जाते हैं वहीं मस्तिष्क में सिस्ट के बनने पर दौरे आने लगते हैं यहां इसका ईलाज अधिक कठिन लेकिन संभव है । इन्हें कंप्यूटेड टोमोग्राफी और न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेसोनेंस जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता हैं। एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोर्बेट परख की एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का उपयोग करके रक्त के नमूनों की जांच की जाती हैं।

लक्षण __जब परजीवी मस्तिष्क पर आक्रमण करते हैं तो दौरे , सिर दर्द, मतली, उल्टी, और भ्रम, गर्दन में अकड़न,कमजोरी या न्यूरोसाइकियाट्रिक गड़बड़ी होने लगती हैं। अन्य लक्षणों में तंत्रिका सम्बन्धी समस्याएं जैसे रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क या नसों को प्रभावित करती हैं।

कारण __अधपका भोजन, विशेष रूप से सुअर का मांस, या टेपवर्म के अंडों से दूषित पानी, खराब स्वस्थता प्रथाओं के सेवन से संक्रमित होने के कारण होते हैं।

परिक्षण __सेरोलॉजी परिक्षण , न्यूरो इमेजिंग जैसे_सी.टी. स्कैन या एम.आर.आई.

निदान__रेडियोलॉजिकल निदान को चार चरणों में विभाजित किया गया हैं __
1. वैसीकुलर 
2. कोलाइडल वैसीकुलर 
3. ग्रेन्यूरल नोडूलर 
4. कैल्सिफाइड नोडूलर 

यूनानी चिकित्सा __ अर्क मुंडी, शर्बत उस्तोखुद्दूस, हब्बे दीदान, हब्बे सराअ आदि का प्रयोग करने से न्यूरोसिस्टिकरोसिस का ईलाज हो जाता हैं। चिकित्सा अनुभवी चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए।


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