प्रशासनिक व्यस्तता में भी नहीं कुम्हलाने दिया संगीत का अंकुर

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Published on : 19 Jul, 24 15:07

केरल के पूर्व मुख्य सचिव डॉ विश्वास मेहता का संगीत से है जुड़ाव

प्रशासनिक व्यस्तता में भी नहीं कुम्हलाने दिया संगीत का अंकुर

केरल के मुख्य सचिव पद तक पहुंचे राजस्थान से पहले आईएएस अधिकारी डॉ विश्वास मेहता की प्रशासनिक कार्य कुशलता से तो सभी परिचित हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि डॉ मेहता संगीत में भी अच्छा खासा दखल रखते हैं। डॉ मेहता को संगीत में विशेष रूचि तथा स्वयं भी बहुत अच्छे गायक हैं। कोविड काल में केरल के मुख्य सचिव पद पर रहते हुए उनकी प्रशासनिक कुशलता से पूरा देश परिचित हुआ और केरल मॉडल को कई जगह अपनाते हुए कोविड प्रबंधन के प्रयास हुए। वहीं डॉ मेहता की गायिकी का भी जवाब नहीं। उन्होंने अब तक कई शॉ और टीवी कार्यक्रमों में अपनी गायिकी का लोहा मनवाया है। विशेष कर महान गायक मुकेश के गीत गाने में उन्हें महारत हासिल है। इसी कड़ी में मुकेश की 101वीं जयंती (22 जुलाई) के उपलक्ष्य में डॉ मेहता 21 जुलाई को शिल्पग्राम स्थित दर्पण सभागार में कभी-कभी मेरे दिल में... एक शाम मुकेश के नाम कार्यक्रम में लाइव आर्केस्ट्रा के साथ प्रस्तुति देंगे। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर और म्यूजिक लवर्स क्लब उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्ताव इस कार्यक्रम को लेकर उदयपुर आए डॉ विश्वास मेहता से हुई विशेष बातचीत के प्रमुख अंश......
मुख्य सचिव पद तक पहुंचने वाले राजस्थान के पहले आईएएस
डॉ मेहता मूलतः दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल डूंगरपुर जिले के निवासी हैं। डॉ मेहता ने बताया कि डूंगरपुर शहर के ऑल्ड सिटी एरिया वखारिया चौक में उनका मकान है। पिता की पंजाब युनिवर्सिटी चण्डीगढ़ में बतौर लेक्चरर नियुक्ति होने पर पूरा परिवार चण्डीगढ़ चला गया। स्कूल एवं कॉलेज शिक्षा चण्डीगढ़ में ही हुई। निरंतर प्रयास के बाद वर्ष 1986 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ तथा केरल कैडर आवंटित हुआ। कुछ वर्ष बाद वह प्रतिनियुक्ति पर राजस्थान आए तथा वर्ष 1999 से 2005 तक पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर में बतौर निदेशक सेवाएं दी। यहां रहते हुए शिल्पग्राम में दर्पण सभागार का निर्माण कराया और कला-संस्कृति से जुड़े आयोजनों को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। इसके बाद वापस केरल गए। वहां विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी। कुछ समय बाद केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति हुई। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव पद पर रहते हुए गृह जिले डूंगरपुर सहित राजस्थान में 7 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्र में सेवाएं देने के बाद उनका पदस्थापन मूल कैडर राज्य केरल में हुआ। वहां राज्य के सबसे बड़े प्रशासनिक पद मुख्य सचिव पर कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 2021 में सेवानिवृत्ति के बाद केरल राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाली। इस पद पर 3 साल का कार्यकाल गत फरवरी 2024 में ही पूर्ण हुआ। इसके पश्चात परिवार सहित गुड़गांव आ गए तथा वर्तमान में वहीं निवासरत हैं। उदयपुर और जन्मभूमि डूंगरपुर से विशेष लगाव के चलते समय-समय पर आते रहते हैं।
तनाव में सुकून देता है संगीत
प्रशासनिक अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी भरे पदों पर रहते हुए संगीत से जुड़ाव के संबंध में डॉ मेहता बताते हैं कि उनका बचपन से ही संगीत से लगाव रहा है। मोहम्मद रफी, मुकेश, किशोर कुमार के गीत सुनना और गुनगुनाना उन्हें बहुत पसंद था। मेहता ने कहा कि पढ़ाई के दौरान अथवा प्रशासनिक सेवा काल के समय जब कभी तनाव होता वे गीत गुनगुनाने लगते। इससे मानो उनका कायापलट ही हो जाता और दोबारा रिफ्रेश हो जाते। संगीत के प्रति विशेष लगाव के चलते ही उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में बतौर निदेशक रहते हुए ही उदयपुर के संगीत प्रेमियों का समूह बनाया। म्यूजिक लवर्स उदयपुर के काम से गठित इस ग्रु्रप में शहर के कई संगीत प्रेमी जुड़े हुए हैं। मेहता ने बताया कि कोविड काल के दौरान केरल में मुख्य सचिव जैसी बड़ी जिम्मेदारी थी। लोगों की जान बचाने के लिए 18-18 घंटे काम करते थे, उस समय संगीत ने बहुत संबल दिया।
गड्ढा भी खोदें तो सबसे अच्छा खोदें
डॉ मेहता ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अगर आपको गड्ढा खोदने की टास्क मिली है तो वह भी सबसे अच्छा खोदें। कहने का तात्पर्य है कि जो भी काम करें उसका अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें। संघर्ष से ही जीवन निखरता है, इसलिए संघर्ष से कभी नहीं घबराएं। अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास करें। तमाम प्रयासों के बावजूद यदि किसी कारण से लक्ष्य प्राप्त नहीं भी कर पाएं तो उसे स्वीकार करें। निराश होने की आवश्यकता नहीं है, दूसरी दिशा में पूरे मनोयोग से दोबारा प्रयास करें। उन्होंने कहा कि आजकल युवा छोटी सी असफलता से व्यथित होकर जीवन समाप्त कर लेते हैं, जबकि सुख-दुःख दोनों ही जीवन का ही हिस्सा हैं। बिना दुःख के सुख की अनुभूति संभव ही नहीं है। इसलिए निराशा को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दें। सूरज रोज नया सवेरा लेकर आता है, इसी प्रयास जीवन भी हर सुबह नया उत्साह और नया जोश लेकर आती है।


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