जीवन भर सभी को सहारा बनाने वाला मनुष्य मृत्यु के समय बेसहारा हो कर जाताःसाध्वी डॉ.संयमलता

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Published on : 27 Jul, 24 13:07

जीवन भर सभी को सहारा बनाने वाला मनुष्य मृत्यु के समय बेसहारा हो कर जाताःसाध्वी डॉ.संयमलता

उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा नादान आदमी अपनी जिंदगी में ना जाने किस-किस को सहारा बनाता है। भूख लगती है तो रोटी का सहारा लेता है, प्यास लगती है तो पानी का सहारा लेता है, दीवार सहारा बनी, रोटी सहारा बनी, कोठी सहारा बनी, लाठी को सहारा बना दिया, बेटे बेटी को सहारा बना लिया, सब को सहारा बनाने के बाद भी मृत्यु के समय बेसहारा होकर इस दुनिया से जाता है।
साध्वी ने आगे कहा जिस जिस ने प्रभु के चरण का सहारा लिया है, परमात्मा का सहारा लिया है, धर्म का आसरा लिया है, वह संसार सागर में पतित होने से बच गया। मौत के जाल से बचने का यही उपाय है कि जीते जी तुम परमात्मा का सहारा पकड़ लो क्योंकि परमात्मा का सहारा बड़ा मजबूत सहारा है। दुनिया के सहारे बड़े नाजुक सहारे हैं। एक अहंकार का झटका लगते ही टूट जाते हैं।सहारा पकड़ो तो मजबूत सहारा पकड़ना हल्के-फुल्के सहारो से जिंदगी नहीं चला करती। प्रभु भी उसका सहारा बनते हैं जो समर्पण,प्रेम और आस्था की आवाज से पुकारता है।
साध्वी ने कहा कि तुम चाहे राग में रहो या द्वेष में, भोग में रहो या त्याग में, संसार में रहो या मुक्ति में, परमार्थ को चाहो या पदार्थ को, एक वीतरागी की शरण लेनी होगी। सहारा से बहुतों को किनारा मिला है। साध्वी कमलप्रज्ञा ने कहा - बुढ़ापा हमें घेरे उससे पहले अपने तार परमात्मा से जोड़ दो। तुम्हारे कदम लड़खड़ाए उससे पहले परमात्मा की यात्रा आरंभ कर दो। तुम्हारे बेटे तुम्हें तुम्हारे ही मकानों से बाहर निकालें, उससे पहले अपने शाश्वत घर की ओर कदम बढ़ा लो। तुम्हारे सारे भौतिक पदार्थ छूटे, उससे पहले वित्तरागी प्रभु की अध्यात्म संपदा से जुड़ जाओ। धार्मिक प्रश्नमंच का आयोजन हुआ जिसमे 200 भाई बहनो ने भाग लिया।


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