मोइयतपुरा मस्जिद को ध्वस्त कर नवनिर्माण की मांग की याचिका जिला न्यायालय ने खारिज की

( 1373 बार पढ़ी गयी)
Published on : 14 Sep, 24 12:09

उदयपुर । उदयपुर के बोहरावाड़ी क्षेत्र स्थित मोइयतपुरा मस्जिद के मामले में  न्यायालय ने सैयदना मुफद्दल सेफुद्दीन की तरफ से 6 जुलाई 2023 को मस्जिद ध्वस्त का नवनिर्मित करने की अनुमति चाहते हुए एक प्रार्थना पत्र पेश किया था, जिसे विस्तृत सुनवाई उपरांत न्यायालय ने इसे क्षेत्राधिकारिता के अभाव मे खारिज किया गया. इस मामले में विपक्षीगण के रूप में दाउदी बोहरा जमात (बोहरा यूथ) ने उनकी मांग के खिलाफ अपना पक्ष अधिवक्ता अरुण व्यास के माध्यम से पुरजोर ढंग से प्रस्तुत किया। जमात की ओर से अरुण व्यास ने बताया कि दरअसल सैयदना की ओर से मोइयतपुरा मस्जिद की स्थानीय प्रतिनिधि शब्बीर मुस्थफा ने मरम्मत की आवश्यकता के मद्देनजर सैयदना की ओर से याचिका दायर कर उसका मालिकाना हक सोल ट्रस्टी के रूप में सैयदना का बताते हुए यह तर्क दिया था कि उसके रखरखाव या उसके नवनिर्माण की जिम्मेदारी भी उनकी है, मस्जिद खंडहर हो चुकी है मानव उपयोग के योग्य नहीं है, इस कारण उसे पूरी गिरा कर नई बनाने अनुमति प्रदान की जाए।

याचिका के विरुद्ध दाउदी बोहरा जमात की ओर से आपत्ति दर्ज कराते हुए पक्ष रखा गया कि 1991 में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार आज भी इस मस्जिद पर रिसीवरी कायम है और इसका बोहरावाड़ी पुलिस चौकी के कर्मचारी इसका ताला खोलते और बंद करते हैं। साथ ही, मस्जिद का पानी-बिजली का बिल भी दाउदी बोहरा जमात द्वारा जमा कराया जा रहा है, मस्जिद एक 150 वर्ष पुरानी कलात्मक, सुंदर और हेरिटेज बिल्डिंग है, जिसको मात्र मरमत की आवश्यकता न कि पूरी तरह गिराकर नई बनाने की, जानबूझ कर षड्यंत कर मरम्मत तो क्या सफाई तक न करा कर उसे खंडहर में बदला जा रहा है, ताकि बुजुर्गो को इस निशानी को मिटा कर शबाब गुट मस्जिद को गिराकर नई बनाने की आड़ में यह वाद की विषयवस्तु को बदल देने, अपने स्वामित्व के दावे को पुख्ता करने का प्रयास मात्र है।

व्यास ने बताया कि दाउदी  न्यायालय से चार्टर्ड इंजीनियर और कोर्ट कमिश्नर को नियुक्ति किया था, चार्टर्ड इंजीनियर ने भी मस्जिद को फिलहाल गिराने की आवश्यकता नहीं बताई है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिला न्यायाधीश संख्या-2 उदयपुर दमयंती पुरोहित ने 9 सितम्बर 2024 को प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि प्रार्थी पक्ष मस्जिद का पुनर्नवीनीकरण चाहता है तो सम्पूर्ण जांच रिपोर्ट व एस्टिमेट के साथ कोर्ट रिसीवर को पक्षकार बनाते हुए अथवा रिसीवर के माध्यम से राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए, क्योंकि मूलभूत ढांचे को परिवर्तन करने के लिए न तो इस न्यायालय को न ही रिसीवर को अधिकार प्राप्त है।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.