नई दिल्ली।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में इस वर्ष गणतंत दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर निकलने वाली चुनिंदा झांकियों में हालांकि इस बार राजस्थान की झाँकी शामिल नहीं होंगी,लेकिन परेड में निकलने वाली झांकियों के साथ दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में आयोजित होने वाले भारत पर्व-2025 में शामिल होकर राजस्थान की झांकी 'सोणो राजस्थान' भी जन आकर्षण का केंद्र बनेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर वर्ष 2014 से दिल्ली में भारत पर्व अनवरत मनाया जा रहा हैं।
भारत पर्व-2025 में शामिल होने वाली झांकियों में राजस्थान की झांकी 'सोणो राजस्थान' में विरासत ओर विकास का सुन्दर मिश्रण होगा और यह नयनाभिमानी झांकी दिल्लीवासियों और देश विदेश के दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगी। राजस्थान की झाँकी का निर्माण नई दिल्ली के दिल्ली कैंट परेड ग्राउंड स्थित गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में हो रहा हैं। झाँकी निर्माण का कार्य इंवेंटिवो क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड फैब्रिकेटर द्वारा किया जा रहा है।
झांकी के नोडल अधिकारी राजस्थान ललित कला अकादमी के डॉ.रजनीश हर्ष ने बताया कि यह झांकी राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति, स्थापत्य परंपरा और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण का दिग्दर्शन कराएगी । साथ ही राजस्थान में जल संरक्षण और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुए विकास को भी दर्शाएगी।उन्होंने बताया कि राज्य के कला और संस्कृति विभाग के शासन सचिव रवि जैन, उप शासन सचिव बृज मोहन नोगिया, जयपुर की संभागीय आयुक्त एवं राजस्थान ललित कला अकादमी की प्रशासक रश्मि गुप्ता के मार्गदर्शन में बन रही इस अद्भुत झांकी के अग्रभाग में राजस्थान की सुप्रसिद्ध तीज की सवारी के मनोहारी दृश्य को शामिल किया गया है। राजस्थान के सुप्रसिद्ध त्यौहार गणगौर और तीज महिलाओं का पारंपरिक पर्व है जिसे राजस्थान और राज्य के बाहर भी धूमधाम से मनाया जाता है ।
डॉ.हर्ष ने बताया कि राजस्थान की झांकी का डिजाइन ओर मॉडल झाँकी डिजाइन कार्य में सिद्धस्त कलाकार हरशिव शर्मा द्वारा तैयार किया गया है। हरशिव शर्मा ने झाँकी के पिछले भाग में शेखावाटी की प्राचीन और दुर्लभ हवेलियों की समृद्ध विरासत को दर्शाया है। राजस्थान का गौरव कही जाने वाली इन हवेलियों को हाल ही में राजस्थान के पर्यटन विभाग ने विकसित कर म्यूजियम में बदलने का सराहनीय प्रयास किया है,ताकि देशी विदेशी पर्यटक इनका दीदार कर सकें। इसे झाँकी में बहुत ही सुंदर तरीके से डिजाइन किया गया है।
इसके साथ ही डॉ.हर्ष ने बताया कि दर्शकों को झाँकी के नीचे के पैनल में इन हवेलियों में बने हुए पुराने भित्ति चित्र ओर विभिन्न प्रकार के म्यूरल की डिजाइन भी देखने को मिलेगी। साथ ही झाँकी में राजस्थान सरकार द्वारा जल संरक्षण और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में किए गए विकास की झलक दिखेगी ।
डॉ.हर्ष ने बताया कि इस सांस्कृतिक झांकी में विकसित भारत की संकल्पना के तहत राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति में समाए महिलाओं के सुप्रसिद्ध त्यौहार तीज ओर खेतीबाड़ी ओर उद्योगों में जल संरक्षण, सौर ऊर्जा के विकास का सुंदर ढंग से प्रदर्शन किया गया है। इस कार्य मे डॉ. हर्ष के साथ हरशिव शर्मा, विनय शर्मा और अकादमी की पूरी टीम फैब्रिकेटर के साथ मिलकर कार्य कर रही है।
राजस्थान की यह झांकी परंपरा के साथ ही विकसित भारत की संकल्पना लिए राजस्थान के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के आलोक में यहां हुए नवीन स्थापत्य निर्माण की एक सुंदर झांकी है।