पश्चिम राजस्थान में पानी के स्रोतों के दोहन की आवश्यकता

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Published on : 16 Jan, 25 04:01

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

पश्चिम राजस्थान में पानी के स्रोतों के दोहन की आवश्यकता

राजस्थान और भारत सरकार अपने आगामी बजट में राजस्थान में पानी की स्थाई समस्या के समाधान के लिए क्या ठोस कदम उठाएंगी? यह सवाल राज्य के नागरिकों के मन में उठ रहा है, जिनकी नजर केंद्र और राज्य सरकार के बजट पर टिकी हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस मुद्दे पर समाज के हर वर्ग से सुझाव ले रहे हैं और पानी के संकट को हल करने के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहे हैं।

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने हाल ही में जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजस्थान जल्द ही पानी की भरपूर आपूर्ति वाला राज्य बनेगा। उन्होंने कहा कि राज्य को संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना (एकीकृत ईआरसीपी) के रूप में एक बड़ा तोहफा मिला है, जिसमें केंद्र सरकार 90 प्रतिशत योगदान देगी और राज्य सरकार पर मात्र 10 प्रतिशत वित्तीय भार आएगा। इस परियोजना से शेखावाटी क्षेत्र की जल समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा।

सी.आर. पाटिल ने यह भी कहा कि अब राजस्थान में पानी के संकट का समाधान वर्षा जल संचयन और रिचार्ज स्ट्रक्चर के जरिए किया जाएगा। मुख्यमंत्री शर्मा ने इस अभियान को और गति देने के लिए प्रवासी राजस्थानियों और भामाशाहों को इसमें जोड़ने की सराहनीय पहल की है।

राजस्थान में अधिकांश क्षेत्र भूजल और सतही जल की कमी से जूझ रहे हैं और गर्मी के मौसम में पानी की आपूर्ति के लिए विशेष रेलगाड़ियों और टैंकरों की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पानी के प्रचुर भंडारों का दोहन और जल संसाधनों की संरक्षण नीति पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, खासकर पश्चिमी राजस्थान में, जहां हाल ही में विशाल जल और गैस भंडार मिले हैं।

यह समय है जब सरकार को इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके पानी की कमी के स्थाई समाधान की दिशा में प्रभावी कदम उठाने चाहिए।


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