जीवात्मा अपने शुभ एवं अशुभ कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी योनियों में आवागमन करता रहता हैः स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती

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Published on : 05 Feb, 25 05:02

जीवात्मा अपने शुभ एवं अशुभ कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी योनियों में आवागमन करता रहता हैः स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती

-प्रस्तुतकर्ताः मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

आर्यसमाज, लक्ष्मण-चैक, देहरादून में रविवार दिनांक 2 फरवरी, 2025 को आर्यसमाज के प्रसिद्ध भजनोपदेशक पं. सत्यपाल सरल जी स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्री सत्यपाल सरल जी की दिनांक 27-1-2025 को लम्बे समय से बीमारी के बाद मृत्यु हो गई थी। इस श्रद्धांजलि सभा को आर्यसमाज के शिरोमणी विद्वान संन्यासी स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी, देहरादून स्थित गुरुकुल पौंधा के आचार्य डा. धनंजय आर्य जी, प्रसिद्ध भजनोपदेशक पं. नरेशदत्त आर्य जी एवं श्री सन्दीप आर्य जी सहित अनेक वक्ताओं ने सम्बोधित किया। आर्यसमाज का सभागार स्त्री एवं पुरुषों से पूरा भर गया था। पूरे सभागर में श्रद्धा एवं दुःख का वातावरण था। सरल जी के परिवार के सभी सदस्य सभागार में उपस्थित थे। सभा के आरम्भ में पं. नरेशदत्त आर्य जी पं. सत्यपाल सरल जी को अपने श्रद्धासुमन भेंट किए।

 

सभा को सम्बोधित करते हुए स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती जी ने दुःख भरे शब्दों में कहा कि संसार में जो मनुष्य आता है वह जाता भी है और जो जाता है वह आता भी है। उन्होंने कहा कि जीवात्मा अपने शुभ एवं अशुभ कर्मों के अनुसार अनेक प्राणी योनियों में आवागमन करता रहता है। स्वामी जी ने आगे कहा कि अभी पं. सत्यपाल सरल जी के जाने का समय नहीं था। उनमें उत्साह की कमी नहीं थी। स्वामी जी ने सरल जी के उत्साही कार्यों के अनेक प्रसंग श्रोताओं को सुनाये। स्वामी प्रणवानन्द जी ने कहा कि श्री सत्यपाल सरल जी ने जून, 2000 में गुरुकुल पौंधा- देहरादून की स्थापना के पश्चात इस गुरुकुल के स्थायीत्व के लिए सहयोग करने-कराने वाले पहले भजनोपदेशक थे। उन्होंने कहा कि किसी मनुष्य की मृत्यु के समय आंसु नहीं बहाये जाते अपितु मृत्यु पर चिन्तन किया जाता है। मरने के बाद किसी मनुष्य को जीवित नहीं किया जा सकता। इस घटना से सम्बन्धित महात्मा बुद्ध से जुड़े एक प्रसिद्ध प्रसंग को स्वामी जी ने विस्तार से सुनाया। स्वामी जी ने सरल जी के पुत्रों एवं परिवार के सभी सदस्यों को प्रेरणा की कि वह अपनी माताजी की सेवा करते रहें और आर्यसमाज से भी जुड़े रहें।

 

श्रद्धांजलि सभा का संचालन आर्यसमाज के यशस्वी भजनोपदेशक श्री सन्दीप आर्य जी ने प्रशंसनीय रूप में किया। उन्होंने सभा को बताया कि सरल जी के परिवार ने सरल जी की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए निर्णय लिया है कि वह आर्य भजनोपदेशक परिषद के माध्यम से वर्ष में एक बार एक भजनोपदेशक वा किसी ढोलक वादक आदि को सम्मानित करेंगे। श्री सन्दीप आर्य जी ने कहा कि वह दिनांक 16-12-2024 को सरल जी से मिलने आये थे। इस अवसर पर उन्होंने श्री रामचन्द्र जी पर सरल जी की पुस्तक में दिए गए गीतों की तर्जों पर बातचीत की थी और उन्हें कुछ तर्जों को अपने स्वरों में सुनाने को कहा था। सरल जी ने उनके द्वारा कहे गये गीतों को उनकी तर्जों में सुनाकर उन्हें सन्तुष्ट किया था।

 

गुरुकुल पौंधा-देहरादून के आचार्य धनंजय जी ने कहा कि गुरुकुल की स्थापना के आरम्भ के दिनों से ही सरल जी ने गुरुकुल को अपना सहयोग प्रदान किया था। वह आचार्य जी को लेकर हरयाणा के नारायणगढ़ आदि अनेक नगरों एवं ग्रामों में ले गये थे और आर्यसमाज के लोगों से परिचय कराने के साथ उनसे आर्थिक एवं गेहूं प्रदान कराने में सहयोग कराया था। उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि सन् 2001 में पहली बार की यात्रा में हमें नारायणगढ़ से पांच क्विंटल गेहूं और पांच हजार रुपयों का सहयोग मिला था। आचार्य जी ने कहा कि एक वक्ता के रूप में उनके व्यक्तित्व में जो उन्नति हुई है उसके लिए भी सरल जी ने उन्होंने ही प्रेरणा की थी। जब सन् 2000 में वह नये नये आचार्य बने थे तो वह प्रभावशाली वक्तव्य नहीं दे पाते थे। तब सरल जी ने प्रेरणा करते हुए उन्हें कहा था कि उन्हें गूंगा वा प्रभावशाली वक्तव्य देने वाला आचार्य नहीं चाहिये अपितु उन्हें एक प्रभावशाली आचार्य बनना होगा। आचार्य जी ने कहा कि आज उन्होंने व्याख्यान देने के कार्य में जो योग्यता प्राप्त की है उसमें उनकी प्रेरणा का प्रभाव स्पष्ट रूप से विद्यमान है। आचार्य धनंजय जी ने आगे कहा कि व्यक्ति अपने गुणों से पहचाना जाता है। उन्होंने सरल जी के अनेक गुणों का उल्लेख कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। आचार्य जी ने सरल जी के परिवारजनों को कहा कि परिवार घर से ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज को विदा नहीं होने देना।

 

श्रद्धांजलि सभा में श्री अजब सिंह, हरिद्वार, श्री प्रमोद जी - शामली, डा. नवदीप कुमार - देहरादून, श्री नरेश जी एवं श्री सोमपाल जी मुजफ्फरनगर, श्री लाल सिंह आर्य एवं श्रीमती सुषमा शर्मा जी, देहरादून ने भी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम शान्तिपाठ के साथ सम्पन्न हुआ। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य


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