21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल (प्रशिक्षण) आरंभ मृदा की सेहत सुधारने संबंधी तकनीक का अध्ययन

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Published on : 05 Feb, 25 15:02

उच्च तकनीक से ही कृषि क्षेत्र में तरक्की संभव डॉ. कर्नाटक

21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल (प्रशिक्षण) आरंभ  मृदा की सेहत सुधारने संबंधी तकनीक का अध्ययन

 मृदा संसाधन मानचित्रण और प्रबंधन की नवीनतम तकनीक आधारित 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल (प्रशिक्षण) बुधवार से उदयपुर व नागपुर केन्द्रों पर आरंभ हुआ प् भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा घोषित राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो क्षेत्रीय केंद्र उदयपुर व नागपुर में आयोजित प्रशिक्षण में देश भर के 50 से ज्यादा मृदा वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं

क्षेत्रीय केंद्र उदयपुर में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक थे, जबकि नागपुर केंद्र के समारोह में मुख्य अतिथि श्री परिमल सिंह, परियोजना निदेशक, नानाजी देशमुख कृषी संजीवनी प्रकल्प (पोकरा) महाराष्ट्र थेप्समारोहमें नागपुर केंद्र ऑनलाइन जुड़ा

डॉ. कर्नाटक ने कहा कि देश को आजाद हुए 78 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन किसान आज भी पारंपरिक विधियों से कृषि व इसके मूलाधार मृदा को संरक्षित किए हुए हैं आजादी के बाद हाल के वर्षों में तकनीक के मामले में भारत ने अद्वितीय सफलता अर्जित की है इनमें ए-आई, रिमोट सेंसिंग, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस), डिजिटल मृदा मानचित्रण(डीएसएम) जैसे उपकरण एवं मृदा संसाधन प्रबंधन की जटिलताओं से निपटने के लिए स्थानिक डाटा का उपयोग करते हैं यह प्रौद्योगिकियों मृदा गुणों के विस्तृत विश्लेषण, मृदा प्रक्रियाओं की मॉडलिंग और स्थाई भूमि प्रबंधन के लिए रणनीतियों के विकास की सुविधा प्रदान करती हैं उन्होंने कहा यद्यपि मैन्युअल से उच्च तकनीक के जरिए खेती करना किसान के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है लेकिन हमारे देश के युवा वैज्ञानिकों की टीम दोनों में सामंजस्य बिठाने में सक्षम है इससे किसान व कृषि क्षेत्र में तरक्की सुनिश्चित है

विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रधान वैज्ञानिक एवं क्षेत्रीय केंद्र, नई दिल्ली के प्रमुख डॉ. जेपी शर्मा ने कहा कि यह कार्यक्रम मृदा सर्वेक्षण, भू आकृति पहचान और भू स्थानिक उपकरणों के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करेगा

जल संसाधन एवं पर्यावरण इंजीनियरिंग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के प्रोफेसर शेखर मुद्दू ने कहा कि इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को मृदा संसाधन मानचित्रण और प्रबंधन में मूल्यवान कौशल प्राप्त होगा इससे वे मृदा आधारित विकास कार्यक्रमों और टिकाऊ भूमि प्रबंधन में प्रभावी रूप से योगदान करने में सक्षम होंगे

निदेशक नागपुर डॉ. एन. जी. पाटिल ने कहा कि मृदा या मिट्टी एक अपरिहार्य प्राकृतिक संसाधन है जो स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र को आधार प्रदान करता है साथ ही कृषि, वानिकी और पर्यावरणीय स्थिरता की आधारशिला के रूप में कार्य करता है

आरंभ में प्रधान वैज्ञानिक एवं पाठ्यक्रम प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र, उदयपुर के डॉ. आर. पी. शर्मा ने बताया कि इस दीर्घकालिक प्रशिक्षण में न केवल राजस्थान बल्कि पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा से मृदा वैज्ञानिक अपने-अपने क्षेत्र के मृदा संरचना व संरक्षण की दिशा में अपनाई जा रही तकनीक पर गहन विचार विमर्श करेंगे ताकि किसानों के लिए तैयार की जाने वाली पॉलिसी को नया दिशाबोध दिया जा सकेप्

आरंभ में राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो क्षेत्रीय केंद्र, उदयपुर के प्रमुख एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी. एल.मीना ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि डॉ.बृजेश यादव,वैज्ञानिक ने धन्यवाद व्यापित किया

प्रशिक्षण में इन पर रहेगा फोकस

मृदा-भूमिरूपसंबंधोंऔरमृदानिर्माणपरउनकेप्रभावकोसमझनाप्

आधुनिक मृदा सर्वेक्षण तकनीकों और भूमि संसाधन सूची विधियों की खोज

रिमोट सेंसिंग (आरएस), जीआईएस और डिजिटल मृदा मानचित्रण (डीएसएम) में ज्ञान बढ़ानाप्

गूगल अर्थ इंजन और भू-सांख्यिकी में व्यावहारिक प्रशिक्षण

मिट्टी और जल संरक्षण, भूमि उपयोग नियोजन और टिकाऊ प्रबंधन में भू-स्थानिक तकनीकों का प्रयोग

मृदा निर्माण के कारक और प्रक्रियाओं को समझना

क्षेत्र भ्रमण, मृदा प्रोफाइल अध्ययन व गुणों का अवलोकन प्

मृदा संसाधन प्रबंधन में उपग्रह डाटा और उनका अनुप्रयोग प्

मृदा सर्वेक्षण डेटा व्याख्या

भूमि संसाधन सूची के लिए मृदा सर्वेक्षण तकनीक को समझना

मृदा एवं जल संरक्षण तथा भूमि उपयोग नियोजन


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