उदयपुर के अंबेडकर नगर स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में महिला आर्य समाज एवं वैदिका चंद्रकांता यादव के नेतृत्व में संस्कार पाठशाला के अंतर्गत एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों से परिचित कराना तथा स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा रचित ‘ सोलह संस्कार’ एवं ‘ आर्य उद्देश्य रत्नमाला’ पुस्तकों के माध्यम से संस्कारों की दीपशिखा को प्रज्वलित करना था।
मुख्य अतिथि डॉ. राजश्री गांधी ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा –
“संस्कार सड़कों पर लगे दीपक की तरह होते हैं – ये हमारी गति को नहीं, बल्कि हमारे पदचिन्हों को प्रकाशमान करते हैं।”
उन्होंने बताया कि किसी भी राष्ट्र की संस्कृति की पहचान उसके संस्कारों से होती है।
भारतीय जीवनमूल्य – शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कार – यदि जीवन में आत्मसात कर लिए जाएं तो व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता।
डॉ. गांधी ने गांधीजी का उल्लेख करते हुए कहा –
"गांधीजी की पूजा उनके चित्र से नहीं, उनके चरित्र से होनी चाहिए।"
उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि –
" अपने शब्दों को पद प्रदर्शन बनाएं, क्योंकि जिन शब्दों का हम चयन करते हैं, वही हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं । विचारों से आज़ाद रहें, लेकिन संस्कारों से जुड़े रहें।"
इस सत्र के माध्यम से वेदिका चंद्रकांता ने स्वामी दयानंद की शिक्षाओं को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हुए बच्चियों को न केवल वैदिक जीवन दृष्टिकोण से परिचित कराया, बल्कि लव जिहाद जैसे संवेदनशील विषय पर भी सजगता और आत्म-सुरक्षा की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि –
"संदेहास्पद बातों को छुपाना नहीं, साझा करना चाहिए। यही सतर्कता आत्म-संरक्षण की कुंजी है।"
कार्यक्रम में ‘आर्य उद्देश्य रत्नमाला’ पुस्तक पर आधारित प्रश्नोत्तरी सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें सही उत्तर देने वाली छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम के समापन पर चंद्रकला जी के नेतृत्व में समवेत स्वर में गायत्री मंत्र का उच्चारण हुआ। विद्यालय की प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों ने आयोजन की सराहना करते हुए सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया।
छात्राओं ने इस आयोजन को अत्यंत प्रेरणादायक बताया और इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर डॉ. सविता आर्य, वर्षा तिवारी, सुमन, शकुंतला गटानी सहित विद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं एवं आयोजन मंडली की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम ने एक बार फिर सिद्ध किया कि –
“ यदि जीवन में संस्कार नहीं हैं,तो कुछ भी नहीं है।”